धान खरीद में पिछले पांच महीनों में एक नया रिकॉर्ड बना है. बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि धान खरीद में पिछले पांच महीनों में अच्छी तेजी देखी गई है और यह अच्छा संकेत है. प्रमुख धान उगाने वाले राज्यों में इसकी खरीद तकरीबन 680 लाख टन तक पहुंच गई है. एक साल में यह 4.3 परसेंट की उछाल है. एक रिपोर्ट की मानें तो अगले दो महीने में धान की खरीद का आंकड़ा 730 लाख टन तक पहुंच सकता है. माना जा रहा है कि यह आंकड़ा करीब 500 लाख टन तक जाएगा. इससे न केवल अन्न भंडार भरेगा बल्कि खाद्य सुरक्षा भी मजबूत होगी.
अनाज के स्टॉक में होगा इजाफा!
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार 2024-25 सीजन (अक्टूबर-सितंबर) में खरीद अभियान के करीब पांच महीने बीतने के बाद, प्रमुख उत्पादक राज्यों में सरकार की धान खरीद अब तक 67.91 मिलियन टन (एमटी) को पार कर गई है, जो पिछले साल की तुलना में 4.3 फीसदी ज्यादा है. अगले कुछ महीनों में, सरकार चालू सीजन में 73 मीट्रिक टन से अधिक धान या चावल के मामले में 49.56 मीट्रिक टन की खरीद कर सकती है, जिससे अनाज का स्टॉक बढ़ेगा.
क्या था पिछले साल का हाल
2023-24 सीजन में, एजेंसियों ने राज्यों से 78.16 मीट्रिक टन धान खरीदा था या 52.54 मीट्रिक टन चावल खरीदा था. धान की खरीद से केंद्रीय पूल में रखे गए प्रभावी चावल स्टॉक में वृद्धि हुई है, जो वर्तमान में 68.74 मीट्रिक टन से अधिक है. यह 1 अप्रैल के लिए 13.58 मीट्रिक टन के बफर से चार गुना अधिक है. वर्तमान में, एफसीआई और एजेंसियों के पास 36.21 मीट्रिक टन चावल का स्टॉक है, जिसमें मिलर्स से प्राप्त होने वाले 32.53 मीट्रिक टन को छोड़कर. चावल का यह स्टॉक 1 अप्रैल के लिए 13.58 मीट्रिक टन के बफर के विरुद्ध है.
लागत बढ़ने की आशंका
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत लाभार्थियों को आपूर्ति के लिए एफसीआई सालाना 38 मीट्रिक टन चावल की आपूर्ति करता है. अनाज के ज्यादा स्टॉक और एमएसपी में वृद्धि के कारण 2024-25 में चावल के लिए एफसीआई की आर्थिक लागत 2023-24 में 3931 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 3975 रुपये प्रति क्विंटल होने का अनुमान है. अधिकारियों ने कहा कि निगम ने इथेनॉल उत्पादन के लिए 2.3 मीट्रिक टन चावल और 2250 रुपये प्रति क्विंटल की रियायती दर पर 1.2 मीट्रिक टन अनाज आवंटित किया है.
अधिकारियों ने कहा कि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और राज्य सरकार की एजेंसियों द्वारा 2024-25 सीजन के लिए 2300 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के तहत किसानों से रबी की फसल के लिए धान उठाने का काम जारी रहेगा. वहीं कुछ राज्य – आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा और पश्चिम बंगाल अगले कुछ महीनों तक जारी रहेंगे.