एक तरफ महाराष्ट्र में प्याज के किसान कीमतें गिरने से परेशान हैं तो गृहणियां इसके सस्ते होने से खासी खुश हैं. मुंबई जो दुनिया के सबसे महंगे शहरों में आता है, वहां पर प्याज मिट्टी के मोल में बिक रहा है. प्याज को किचन की सबसे महत्वपूर्ण चीज होने का दर्जा हासिल है. वहां मंडी में एक किलो प्याज बस 10 से 15 रुपये किलो के बीच बिक रहा है. व्यापारियों की मानें तो पिछले एक हफ्ते से इसकी कीमत इसी आंकड़ें पर टिकी हुई हैं. बताया जा रहा है कि नई आवक के बाजार में आने से प्याज के दामों में गिरावट आई है.
गाड़ियों में लदकर मंडी पहुंच रहा प्याज
एक रिपोर्ट के अनुसार लाल और सफेद प्याज की खेप बाजार में भारी मात्रा में आ रही है जबकि इसकी मांग कम है. इस वजह से कीमतें गिरती जा रही हैं. एक हफ्ते पहले तक यह 25 से 30 रुपये किलो के बीच बिक रहा था. बाजार समिति में प्याज की कीमतें 30 रुपये से 40 रुपये के बीच थीं. पिछले दिनों यहां की वाशी एपीएमसी में 112 गाड़ियों में लदकर प्याज मंडी में पहुंचा है जिसमें से 51 ट्रक्स थे और 61 टेंपों थे. इनमें करीब 26 हजार बोरे थे जो प्याज से भरे थे. प्याज की यह खेप नाशिक, अहमदनगर, पुणे, सतारा और सांगली से यहां पहुंची थी.
अभी तो पुराना प्याज आना बाकी
पिछले साल की तुलना में इस बार प्याज का उत्पादन 30 फीसदी ज्यादा हुआ है. महाराष्ट्र के अलावा गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश में भी प्याज की बंपर फसल हुई है. बताया जा रहा है कि इस वजह से आने वाले दिनों में प्याज की कीमतों में और गिरावट होगी. 15 अप्रैल के बाद ही स्थिति में कोई बदलाव हो सकता है. अभी बाजार में स्टोर करके रखे गए प्याज की खेप आनी बाकी है. जल्द ही इसकी आवक भी शुरू हो जाएगी और इसके बाद कीमतें और नीचे आएंगी. दूसरे राज्यों से आने वाले प्याज ने इस स्थिति को और मुश्किल बना दिया है.
सरकार की तरफ टिकीं नजरें
विशेषज्ञों की मानें तो इसका सीधा असर उत्पादकों पर देखने को मिलेगा. थोक विक्रेताओं का कहना है कि गर्मी में होने वाले प्याज को आठ महीने तक बचाकर रखा जा सकता है. इस वजह से बाजार में भी दाम गिरते जा रहे हैं. किसानों की तरफ से लगातार सरकार से अपील की जा रही है कि वह 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क को तत्काल खत्म करे. इस एक्सपोर्ट ड्यूटी की वजह से किसान तो घाटा सहने को मजबूर हैं ही, साथ ही साथ ग्लोबल मार्केट में भी भारतीय प्याज कमजोर हो रहा है. खासकर खाड़ी देशों में प्याज अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता को खो रहा है.