जहरीले गेहूं से गंजापन, सुनकर आपको भी हैरानी होगी लेकिन महाराष्ट्र के कुछ गांवों ऐसा ही नजारा देखने को मिल रहा है. पद्म पुरस्कार विजेता फिजिशियन डॉक्टर हिम्मतराव बावस्कर के हवाले से पिछले दिनों एक मीडिया रिपोर्ट में कुछ ऐसी ही बातें कही गई. जब बुलढाणा में भी कुछ ऐसी ही जानकारी आनी शुरू हुई तो सबके कान खड़े हो गए. बुलढाणा के तहत आने वाले 15 गांवों में 300 व्यक्तियों ने अचानक गंजापन के बारे में जानकारी दी. बुलढाणा की यह घटना ने सबको पंजाब की याद दिला दी है जहां पर इसी तरह से गंजापन की समस्या के बारे में जानकारी आनी शुरू हुई थी. जानें आखिर क्या है सारा मामला.
एक महीने तक हुई रिसर्च
बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार डॉक्टर हिम्मतराव बावस्कर ने महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में बालों के झड़ने के गंभीर मामलों पर एक महीने तक रिसर्च किया. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, उनकी जांच ने भारत की सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के जरिये से वितरित किए जाने वाले गेहूं में सेलेनियम की खतरनाक उपस्थिति पुष्टि की गई है और पंजाब से आने वाले गेहूं में खासतौर पर इसकी मौजूदगी देखी गई.
की गई सैंपल की जांच
जब बुलढाणा के 15 गांवों के 300 से ज्यादा व्यक्तियों ने अचानक गंजापन की सूचना दी तो राशन वाले गेहूं की गुणवत्ता को लेकर चिंताएं पैदा हो गईं. बुलढाणा के निवासी मुख्य तौर पर सरकारी सप्लाई वाले गेहूं पर निर्भर हैं. इस वजह से बावस्कर ने घरों से सैंपल इकट्ठा किए जिसमें भोंगांव गांव के सरपंच का घर भी शामिल है. उनके भी बाल तेजी से झड़ रहे थे. लैब टेस्ट्स ने गेहूं में सेलेनियम के हाई लेवल की पुष्टि की. इससे गंजेपन के साथ एक संबंध नजर आया. यह तो अच्छा हुआ है कि बालों के फॉलीकल बरकरार हैं तो कई प्रभावित व्यक्तियों के बाल फिर से उगने लगे हैं.
क्यों खतरनाक है सेलेनियम
सेलेनियम, एक ऐसा मेटेल है जिसमें धातु और अधातु दोनों के गुण होते हैं. यह शरीर के कई कामों के लिए जरूरी है. लेकिन जब इसकी मात्रा ज्यादा हो जाती है तो यह हानिकारक हो सकता है. बावस्कर की रिसर्च से पता चला कि प्रभावित व्यक्तियों में जिंक का स्तर भी कम था. जिंक बालों के विकास के लिए महत्वपूर्ण पोषक तत्व है. जबकि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा पिछली जांच में ब्लड सैंपल्स में इसी तरह सेलेनियम की उच्च सांद्रता का पता चला था. हालांकि एजेंसी ने राशन की दुकान के गेहूं को समस्या के लिए जिम्मेदार ठहराने से परहेज किया.
बावस्कर ने गेहूं के नमूने ठाणे में वर्णी एनालिटिक्स लैब में भेजे. यहां जांच में पता चला कि बिना धुले गेहूं में सेलेनियम का स्तर 14.52 मिलीग्राम/किग्रा था – जो सामान्य सीमा 0.1 से 1.9 मिलीग्राम/किग्रा से बहुत ज्यादा था। धोने के बाद भी, सेलेनियम की मात्रा 13.61 मिलीग्राम/किग्रा पर उच्च बनी रही. राशन की दुकानों में जांच की गई बोरियों का पता पंजाब से लगाया गया.
क्या हुआ था पंजाब में
साल 2000 के दशक की शुरुआत में, पंजाब के होशियारपुर और नवांशहर जिलों के निवासियों ने शिवालिक पर्वत श्रृंखला से सेलेनियम युक्त बाढ़ के पानी के कारण अचानक बाल झड़ने का अनुभव किया, जिससे स्थानीय फसलें प्रभावित हुईं. बावस्कर को संदेह है कि इसी तरह के दूषित खेतों से गेहूं अनजाने में पीडीएस सप्लाई चेन तक पहुंच गया होगा.