कैसे करें पालक की खेती कि हो सबसे ज्यादा मुनाफा, जानें खास टिप्‍स 

पालक सबसे जल्दी तैयार होने वाली फसलों में शामिल है. यह सिर्फ 30 से 35 दिनों में ही कटाई के लिए तैयार हो जाती है. साथ ही बाकी सब्जियों की तुलना में कम लागत में अधिक लाभ देती है.

Agra | Updated On: 10 Mar, 2025 | 10:00 PM

पालक एक ऐसी हरी पत्तेदार सब्जी जो आयरन और न जाने कितने मिनरल्‍स से भरपूर है. एक तरफ यह सब्‍जी शरीर को सेहतमंद बनाने के काम आती है तो दूसरी तरफ है यह किसानों के लिए भी फायदेमंद है. पालक सबसे जल्दी तैयार होने वाली फसलों में शामिल है. यह सिर्फ 30 से 35 दिनों में ही कटाई के लिए तैयार हो जाती है. साथ ही बाकी सब्जियों की तुलना में कम लागत में अधिक लाभ देती है. आइए आपको बताते हैं कि आप इसकी खेती कैसे करें कि आपको सबसे ज्‍यादा मुनाफा हो.  

पालक के क्‍या हैं फायदे

पालन वह सब्‍जी है जो विटामिन A और C से भरपूर, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है. आयरन, फास्फोरस और कैल्शियम का अच्छा स्रोत, जिससे हड्डियां मजबूत होती हैं. प्रोटीन युक्त होने के कारण यह शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है. पालक कम समय में तैयार होने वाली फसल है जिससे किसान ज्‍यादा फसल चक्र अपना सकते हैं. इसकी खेती में लागत कम आती है और उत्‍पादन ज्‍यादा होता है. इससे फायदा भी कहीं ज्‍यादा मिलने की उम्‍मीद होती है. पालक की बाजार में लगातार मांग बनी रहती है, जिससे किसानों को अच्छा दाम मिल सकता है.   

प्रति हेक्‍टेयर कितना उत्‍पादन

पालक की खेती किसानों के लिए एक लाभदायक विकल्प है, खासकर बरसात के मौसम में, जब सिंचाई की आवश्यकता बहुत कम होती है. बाजार में साल भर मांग बने रहने की वजह से यह एक लगातार फायदा देने वाली फसल बन जाती है. बारिश के पानी से सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती, जिससे पानी की बचत होती है. 30-35 दिनों में फसल तैयार हो जाती है जिससे अल्प अवधि में अधिक लाभ मिलता है. प्रति हेक्टेयर इस सब्‍जी का 150 से 250 क्विंटल उत्पादन संभव है. 

कौन सा समय है बेस्‍ट 

यूं तो इसकी खेती के लिए सबसे अच्छा महीना दिसंबर का माना गया है. लेकिन एक सही वातावरण में पालक की बुवाई पूरे साल की जा सकती है. पालक की फसल से अच्छा उत्पादन हासिल करने के लिए जनवरी-फरवरी, जून-जुलाई और सितंबर-अक्टूबर में इसकी बुवाई को सही माना गया है. विशेषज्ञों के अनुसार इन महीनों में बुवाई करके पालक की अच्छी पैदावार हासिल हो सकती है. भारत में पालक ऑल ग्रीन, पूसा हरित, पूसा ज्योति, बनर्जी जाइंट, जोबनेर ग्रीन को सबसे ज्‍यादा उत्‍पादन देने वाली किस्‍में माना गया है. किसान अपने क्षेत्रानुसार किस्‍मों का चयन कर सकते हैं. 

किस तरह की जमीन का करें चयन 

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, पालक को कई तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है. यह नमकीन मिट्टी में भी अच्छी तरह विकसित हो सकती है. सबसे खास बात है कि जो जमीन लवणीय है यानी जहां नमक वाले तत्‍व ज्‍यादा हैं और जहां बाकी फसलें नहीं उग सकतीं, वहां भी इसकी खेती की जा सकती है. इसकी पालक की खेती के लिए हल्की दोमट मिट्टी सबसे सही मानी गई है. लेकिन आपको ऐसे खेत का चयन करना चाहिए, जहां पानी का निकास अच्छा हो और सिंचाई में किसी भी तरह की कोई परेशानी न हो. 

पालक की करीब 60 फीसदी फसल खरपतवारों की वजह से बर्बाद हो सकती है. इसलिए, पालक से अच्छी आमदनी हासिल करने के लिए इसे खरपतवारों से बचाना जरूरी है. बुवाई के तुरंत बाद पेंडीमेथिलिन का छिड़काव करना चाहिए, लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि छिड़काव के समय खेत में नमी बनी रहे. 

पानी का प्रयोग कैसे करें 

पालक एक छोटी अवधि की फसल है, लेकिन इसकी उपज हरी और स्वस्थ पत्तियों पर निर्भर करती है.  इसलिए, पालक की फसल के लिए नाइट्रोजन की ज्‍यादा मात्रा की जरूरत होती है. इसके अलावा, फसल की अच्छी वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए मिट्टी की नमी बनाए रखना आवश्यक है, जिसके लिए पानी की नियमित आपूर्ति करनी चाहिए. 

सर्दियों में पालक की फसल को 10 से 12 दिन के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए. कटाई से 2-3 दिन पहले फसल को पानी देना चाहिए, ताकि पत्तियां ताजा और हरी बनी रहें. अगर पालक की खेती जुलाई के महीने में की जा रही है, तो आमतौर पर सिंचाई की जरूरत नहीं होती, क्योंकि इस समय बारिश का पानी पर्याप्त होता है. 

कटाई में ध्‍यान रखें ये बातें 

पालक की बुवाई के लगभग 25 दिनों बाद, जब पत्तियों की लंबाई 15 से 30 सेंटीमीटर तक हो जाए, तो पहली कटाई कर देनी चाहिए. कटाई करते समय यह सुनिश्चित करें कि पौधों की जड़ों से लगभग 5-6 सेंटीमीटर ऊपर से ही पत्तियों को काटा जाए. इसके बाद, हर 15 से 20 दिनों के अंतराल पर कटाई करते रहें. कटाई के बाद फसल की अच्छी वृद्धि के लिए सिंचाई जरूर करें. 

Published: 11 Mar, 2025 | 08:00 AM