हरी मूंग, दालों में एक महत्वपूर्ण फसल है, जिसे पोषण से भरपूर और मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने वाली फसल माना जाता है. यह कम समय में तैयार होने वाली दलहनी फसल है, जो गर्मी और खरीफ दोनों मौसमों में उगाई जा सकती है. सही देखभाल और आधुनिक कृषि तकनीकों के इस्तेमाल से इसकी उत्पादकता में वृद्धि की जा सकती है. अगर आप भी मूंग दाल की खेती करने की सोच रहे हैं , तो ये टिप्स आपके लिए हैं.
खेती करते समय ध्यान रखें ये बातें:
जलवायु और मिट्टी
हरे मूंग की खेती के लिए गर्म और शुष्क जलवायु उपयुक्त होती है और तापमान 25-35°C के बीच सबसे अच्छा रहता है. साथ ही अच्छी जल निकासी वाली बलुई दोमट और दोमट मिट्टी खेती के लिए अच्छी मानी जाती है. मिट्टी का pH स्तर 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए.
बुवाई का समय और विधि
गर्मी की फसल: फरवरी-मार्च में बुआई के समय खेतों में सिंचाई उपलब्ध होनी चाहिए.
खरीफ की फसल: जून-जुलाई में भी मूंग को लगाया जा सकता है.
रबी की फसल: अक्टूबर-नवंबर में नमी वाली मिट्टी में इसकी खेती की जा सकती है.
बुवाई विधि
खेत में कतारों में बुवाई करें, कतार से कतार की दूरी 30-40 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 8-10 सेमी रखें. प्रति हेक्टेयर 20-25 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है. साथ ही बुवाई से पहले राइजोबियम और पीएसबी कल्चर से बीज को उपचारित करें, जिससे अंकुरण अच्छा होगा और नाइट्रोजन स्थिरीकरण में मदद मिलेगी.
सिंचाई प्रबंधन
खरीफ फसल में सिंचाई की अधिक आवश्यकता नहीं होती है. गर्मी और रबी मौसम में 2-3 सिंचाइयां खेतों में जरूरी होती हैं. पहली सिंचाई बुवाई के 20-25 दिन बाद करें और दूसरी सिंचाई फूल आने के समय करनी है. तीसरी सिंचाई फली भरने के समय पर करें.
कटाई और उत्पादन
हरे मूंग की फसल 60-70 दिनों में तैयार हो जाती है. जब फली पीली होकर सूखने लगे, तब फसल की कटाई करें. कटाई के बाद फली को धूप में सुखाकर दानों को निकालें और उचित भंडारण कर लें. औसतन 10-14 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है.