मार्च का मौसम शुरू होने वाला है और गर्मी ने सबकी टेंशन बढ़ा दी है. मौसम विभाग की तरफ से कहा गया है कि भारत अब तक के सबसे गर्म मार्च महीनों में से एक के साथ गर्मी के मौसम में दाखिल होने को तैयार है. साथ ही पूरे महीने में औसत से ज्यादा तापमान की वजह से कारण गेहूं की फसल की पैदावार में कमी आने का खतरा है. भारत जो दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक देश है, वहां साल 2022 से लगातार तीन सालों तक खराब फसल पैदावार हो रही है. ऐसे में महंगे आयात से बचने के लिए साल 2025 में बंपर फसल की उम्मीद है.
गेहूं के उत्पादन में होगी कमी!
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने विशेषज्ञों के हवाले से कहा है कि हाई टेंप्रेचर की वजह से लगातार चौथे साल पैदावार में कमी आ सकती है. इससे कुल उत्पादन में कमी आ सकती है. अधिकारियों को कमी की स्थिति से निपटने के लिए विदेशी शिपमेंट को सुविधाजनक बनाने हेतु 40 फीसदी आयात कर को कम करने या हटाने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है. भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘इस साल मार्च असामान्य तौर पर गर्म रहने वाला है. अधिकतम और न्यूनतम तापमान दोनों ही महीने के अधिकांश समय में सामान्य से ऊपर रहेंगे.’
मार्च में बढ़ेगा तापमान
अधिकारियों ने आईएमडी की आधिकारिक घोषणा से पहले अपनी पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर यह जानकारी दी. आईएमडी की तरफ से शुक्रवार को मार्च के तापमान के लिए अपना पूर्वानुमान जारी किए जाने की उम्मीद है. अधिकारी ने बताया कि मार्च के दूसरे हफ्ते से दिन का तापमान बढ़ने लगेगा और महीने के अंत तक कई राज्यों में अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो सकता है.
साल 2022 में भी हुआ ऐसा
साल 2022 में भी फरवरी और मार्च में तापमान में तेज वृद्धि के बाद गेहूं की फसल सूख गई. इसके बाद भारत को इस प्रमुख खाद्यान्न के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा. भारत के मध्य और उत्तरी बेल्ट में गेहूं उगाने वाले राज्यों में मार्च के दूसरे सप्ताह से अधिकतम तापमान में अचानक उछाल आने की संभावना है. आईएमडी अधिकारी की मानें तो इससे तापमान औसत से 6 डिग्री सेल्सियस अधिक हो सकता है.
डीलर्स भी हुए परेशान
आईएमडी के अधिकारियों की मानें तो मार्च का महीना गेहूं, चना और रेपसीड के लिए अनुकूल नहीं रहने वाला है. फसलें गर्मी का सामना कर रही हैं. सर्दियों की फसलें, जैसे कि गेहूं, रेपसीड और चना, अक्टूबर से दिसंबर तक बोई जाती हैं. इन फसलों की ज्यादा से ज्यादा उपज के लिए उनके विकास चक्र के दौरान ठंडे मौसम की स्थिति की जरूरत होती है. सप्लाई में कमी की वजह से इस महीने भारतीय गेहूं की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गईं. डीलर्स का भी कहना है कि फरवरी में मौसम काफी गर्म रहा है. अगर मार्च सामान्य से ज्यादा गर्म रहा तो गेहूं उत्पादन पर बड़ा असर पड़ सकता है.