काली मिर्च, वह मसाला जिसे ‘स्पाइस किंग’ यानी ‘मसालों का महाराजा’ कहा जाता है, किसानों के लिए एक फायदेमंद खेती साबित हो सकता है. काली मिर्च की खेती अगर सही तरह से की जाए तो किसान लाखों कमा सकते हैं. काली मिर्च को ‘ब्लैक गोल्ड’ भी कहा जाता है. भारत दुनिया में काली मिर्च के कुल उत्पादन में 54 फीसदी का योगदान करता है. कार्ली मिर्च का प्रयोग मसाले, सब्जी के साथ ही घरेलू नुस्खों में भी किया जाता है. ऐसे में साफ है कि यह मसाला काफी फायदेमंद और महत्वपूर्ण हो जाता है.
कहां-कहां पर होती खेती
देश में काली मिर्च की खेती कर्नाटक, पुड्डुचेरी, अंडमान और निकोबार, तमिलनाडु, केरल और कोंकण में की जाती है. हालांकि अब छत्तीसगढ़ में भी इसकी खेती होने लगी है. केरल में देश के कुल उत्पादन का 90 फीसदी उत्पादन किया जाता है. एक बार फूल निकलने के बाद इसे पकने में छह महीने का समय लगता है. भारत में काली मिर्च की कुल 75 तरह की किस्मों की खेती की जाती है. कारीमुंडा सबसे लोकप्रिय किस्म है और इसे केरल में उगाया जाता है. किसान काली मिर्च की खेती करके अच्छी-खासी कमाई कर सकते हैं.
30 साल तक फल देता पेड़
एक अनुमान के मुताबिक किसानों को एक एकड़ में की गई काली मिर्च की खेती से 40 लाख रुपये तक की कमाई हो सकती है. एक एकड़ में इसके 675 पौधे लगाए जा सकते हैं. काली मिर्च लंबे समय की खेती लंबे समय तक रहती है. ऐसे में एक बार लगाने पर 25 से 30 साल तक कमाई होती है. काली मिर्च की खेती के लिए उष्णकटिबंधीय गर्म और उमस भरी जलवायु को सही माना गया है. खेती के लिए 24 से 30 डिग्री तक के तापमान को सही करार दिया गया है. इसकी खेती के लिए जून से अक्टूबर तक का समय सही रहता है.
सिंचाई का सही तरीका
खेती के लिए लेटराइट मिट्टी या लाल मिट्टी को बढ़िया करार दिया गया है. काली मिर्च के पौधे जब 5 से 6 इंच हो जाते हैं तो उन्हें 2 फीट की दूरी में रोपा जाता है. इसके पौधों की सिंचाई नवंबर से मार्च के बीच करनी चाहिए. इसके बाद इसे बंद कर देना चाहिए और फिर फूल निकलने का इंतजार करना चाहिए. सर्दियों में दो हफ्तों में एक बार पानी देना चाहिए. जबकि गर्मी में दो दिनों में एक बार पानी देना चाहिए. बारिश के समय में सिंचाई से बचना चाहिए. गर्मियों में मल्चिंग कर देनी चाहिए ताकि मिट्टी में नमी बरकरार रहे.