स्वास्थ्य के हिसाब से आयुर्वेद और आधुनिक मेडिकल साइंस में पपीते को एक बेहद उपयोगी फल माना जाता है. इसमें कई औषधीय गुण भी पाए जाते हैं. पपीता गर्म जलवायु में पैदा होने वाला फल है. इतना ही नहीं, केले के बाद यह सबसे अधिक पैदा होने वाला फल भी है.
भारत में पपीते को लाने का श्रेय डच यात्री लिन्सकाटेन को जाता है, जिन्होंने 1575 में इसे वेस्टइंडीज से मलेशिया और फिर भारत तक पहुंचाया. वर्तमान में, देश के कई राज्यों में इसकी व्यावसायिक खेती की जा रही है. अगर आप भी पपीते की खेती का मन बना रहे हैं, तो पहले जानिए इससे जुड़ी हर एक बात.
पपीते की जलवायु और मिट्टी
पपीता गर्म जलवायु की फसल है, जिसे 10-26 डिग्री सेल्सियस तापमान वाले क्षेत्रों में उगाया जा सकता है. पपीते के बीजों के अंकुरण के लिए 35 डिग्री सेल्सियस तापमान सबसे बेहतर माना जाता है. ठंड के मौसम में, अगर तापमान 12 डिग्री सेल्सियस से नीचे चला जाए, तो पौधों की वृद्धि और फल पैदा करने की क्षमता प्रभावित हो सकती है. इसकी खेती के लिए 6.5 से 7.5 pH वाली हल्की दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है, जिसमें पानी का निकास सही तरीके से हो सके.
पपीते की प्रमुख किस्में
पपीते की किस्मों को खेती के उद्देश्य के आधार पर दो भागों में बांटा गया है:
औद्योगिक इस्तेमाल वाली किस्में- इनसे कच्चे फलों से “पपेन” नामक पदार्थ निकाला जाता है, जो इंडस्ट्रियलाइज्ड रूप से काफी उपयोगी होता है. इसकी प्रमुख किस्मों के नाम C.O-2, C.O-5, C.O-7 शामिल हैं.
खाने योग्य किस्में- ये किस्में पूरी तरह पकने के बाद सीधे खाई जाती हैं. पारंपरिक किस्मों में बड़वानी लाल, बड़वानी पीला, वाशिंगटन, मधुबिंदु, हनीड्यू, कुर्ग हनीड्यू, C.O-1, C.O-3 शामिल हैं. वहीं संकर (हाइब्रिड) किस्मों में पूसा नन्हा, पूसा डेलिशियस, C.O-7, पूसा मैजेस्टी, सूर्या को पसंद किया जाता है.
पौध तैयार करने की विधि
एक हेक्टेयर में पपीते की खेती के लिए परंपरागत किस्मों के लिए 500 ग्राम बीज और एडवांस किस्मों के लिए 300 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है. पौध तैयार करने के लिए दो तरीके अपनाए जा सकते हैं:
क्यारियों में कैसे तैयार हों पौध?
पपीते की पौध के लिए क्यारी की लंबाई: 3 मीटर, चौड़ाई: 1 मीटर, ऊंचाई: 20 सेमी होनी चाहिए.
प्लास्टिक की थैलियों में पौध तैयार करना
इसके लिए 200 गेज मोटी, 20×15 सेमी की थैलियों का इस्तेमाल करें. इनमें चारों ओर और नीचे छेद किए जाएं ताकि पानी आसानी से निकल सके. थैलियों में वर्मीकम्पोस्ट, रेत, गोबर खाद और मिट्टी को 1:1:1:1 के अनुपात में मिलाकर भरें और हर थैली में 1-2 बीज बोएं.
पपीता एक लाभदायक और तेजी से बढ़ने वाला फल है. इसकी खेती सही जलवायु और मिट्टी में करने से अच्छा उत्पादन मिल सकता है. इसकी पारंपरिक और संकर किस्में दोनों ही किसानों को बेहतर कमाई का अवसर देती हैं. बेहतर देखभाल और सही तकनीकों का इस्तेमाल करके किसान पपीते की खेती से अच्छी कमाई की जा सकती है.