बिहार मक्के के उत्पादन में दिन पर दिन आगे बढ़ता जा रहा है. कृषि विभाग की तरफ से जो नए आंकड़ें जारी किए गए हैं, उन पर अगर यकीन हो तो मक्का उत्पादन में राज्य ने असाधारण प्रगति की है. राज्य में मक्का एक अहम फसल है और यहां के कई इलाकों में इसने किसानों की किस्मत तक बदलने में अहम योगदान दिया है. पिछले साल भी राज्य ने मक्का उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान किया था.
किस साल हुआ कितना उत्पादन
कृषि विभाग की तरफ से बताया गया है कि साल 2023-24 में राज्य में मक्का का उत्पादन 58.65 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच गया है. 20 साल में राज्य ने मक्का उत्पादन में 286 फीसदी की असाधारण प्रगति हासिल की है. साल 2005-06 में राज्य में मक्का उत्पादन 15.19 लाख मीट्रिक टन था. साल 2010-11 में 21.08 लाख मीट्रिक टन, 2015-16 में 25.17 लाख मीट्रिक टन और 2020-21 में 35.14 लाख मीट्रिक टन उत्पादन दर्ज हुआ था.
बिहार में मक्का उत्पादन में ऐतिहासिक बढ़ोतरी! 🌽
बिहार सरकार के सतत प्रयासों और किसानों की मेहनत से मक्का उत्पादन में 286% की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
✅ 2005-06: 15.19 लाख मीट्रिक टन
✅ 2023-24: 58.65 लाख मीट्रिक टन@VijayKrSinhaBih @SanjayAgarw_IAS @AgriGoI @IPRDBihar pic.twitter.com/TJkF6tf1nl— Agriculture Department, Govt. of Bihar (@Agribih) March 25, 2025
उत्पादन के लिए जिम्मेदार 3 वजहें
विभाग ने कहा है कि बिहार सरकार के सतत प्रयासों और किसानों की मेहनत से मक्का उत्पादन में 286 फीसदी की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. विभाग ने इसे एक एतिहासिक उपलब्धि करार दिया है. कृषि विभाग ने मक्का उत्पादन की इस वृद्धि के लिए तीन वजहों को जिम्मेदार बताया है. बिहार कृषि विभाग की मानें तो राज्य अगर मक्का उत्पादन का हब बना है तो इसके लिए :
उन्नत बीज और आधुनिक खेती
सरकारी योजनाओं और सब्सिडी का फायदा
कृषि यंत्रीकरण और वैज्ञानिक तरीकों को अपनाना शामिल हैं.
बिहार में किसानों की पसंद मक्का
सितंबर 2024 में राज्य के कृषि मंत्री मंगल पांडे ने कहा था कि राज्य ने इस साल मक्का की खेती में रिकॉर्ड 10 लाख हेक्टेयर करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया था. मक्का की अहमियत भोजन के अलावा चारा और औद्योगिक उपयोग में काफी है. बिहार देश का पांचवां सबसे बड़ा मक्का उत्पादक राज्य है. ऐसे में राज्य में किसानों की पसंद में फसल की खेती के प्रति बदलाव देखा जा रहा है क्योंकि बाजार में इसकी कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कहीं ज्यादा हैं.
सरकार के सामने दो बड़ी चुनौतियां
जब से केंद्र ने इथेनॉल उत्पादन के लिए फीडस्टॉक के तौर पर मक्का को मंजूरी दी है तब से इसकी मांग में कई गुना वृद्धि हुई है. इससे राज्य भर में इथेनॉल प्लांट्स की स्थापना को बढ़ावा मिला है. हालांकि, इस उछाल ने दो महत्वपूर्ण चुनौतियों को उजागर किया है. पहली राज्य में हाइब्रिड मक्का के बीजों की कमी और अपर्याप्त भंडारण बुनियादी ढांचा. सरकार की मानें तो वह इन चुनौतियों को दूर करने की दिशा में लगातार प्रयास कर रही है.