नारियल (Cocos nucifera) एक ऐसा बहुउपयोगी और पोषक तत्वों से भरपूर फल है, जो खासकर हमारे देश के तटीय और उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर उगाया जाता है. इससे न केवल तेल, पानी और फाइबर जैसी चीजें मिलती हैं, बल्कि यह किसानों की आय का भी एक अहम स्रोत है. लेकिन कई बार नारियल के पेड़ों में फूल और फल समय से पहले गिर जाते हैं, जिससे उपज में भारी कमी आ जाती है. तो आइए जानते हैं इसके पीछे के मुख्य कारणों और उनके समाधान के बारे में है.
फूल और फल गिरने के कारण-
पोषण की कमी
अगर मिट्टी में बोरॉन, कैल्शियम और पोटैशियम जैसे जरूरी पोषक तत्वों की कमी हो जाए, तो फूल और फल पेड़ पर टिक नहीं पाते और गिरने लगते हैं. समय पर संतुलित उर्वरक देने से इस समस्या से काफी हद तक बचा जा सकता है.
पानी की कमी या असमय सिंचाई
अगर नारियल के पेड़ों को नियमित और पर्याप्त पानी नहीं मिलता, तो इससे फूल और फल सूखने लगते हैं और झड़ जाते हैं. गर्मी के मौसम में या जब पेड़ पर फल आ रहे हों, तब विशेष रूप से पानी की जरूरत होती है.
कीट और बीमारियां
नारियल माइट, मिलीबग्स और फ्रूट फ्लाई जैसे कीट फूलों और कच्चे फलों को नुकसान पहुंचाते हैं. इसके अलावा कुछ फंगल और बैक्टीरियल बीमारियां भी फूल गिरने का कारण बन सकती हैं.
मौसम का असर
अचानक तेज गर्मी, तूफानी हवाएं या मौसम में अचानक बदलाव भी फूल और फलों को गिरा सकते हैं. कई बार पेड़ को शारीरिक नुकसान पहुंचता है जिससे वह अपने फूल और फल नहीं संभाल पाता.
परागण की कमी
अगर पेड़ के आसपास मधुमक्खियां या परागण करने वाले अन्य कीट न हों, या हवा की आवाजाही कम हो, तो फल बनने की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाती और फूल झड़ जाते हैं.
कुछ कारगर उपाय-
संतुलित उर्वरक का उपयोग करें
नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटैशियम के साथ बोरॉन, कैल्शियम और मैग्नीशियम जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों को सही मात्रा में देने से फूल और फल ज्यादा समय तक पेड़ पर टिके रहते हैं. इसके लिए पहले मिट्टी की जांच जरूर करवा लें.
सिंचाई का सही प्रबंधन करें
पेड़ को नियमित और पर्याप्त पानी दें, खासकर जब वह फूल या फल दे रहा हो. ड्रिप सिंचाई प्रणाली अपनाने से नमी बनी रहती है और पानी की बर्बादी भी नहीं होती.
कीट और रोग नियंत्रण करें
समय-समय पर पेड़ की जांच करें और अगर कीट या बीमारी के लक्षण दिखें तो जैविक या जरूरत हो तो रासायनिक उपाय अपनाएं. बेहतर है कि आप एकीकृत कीट प्रबंधन (IPM) तकनीकों का सहारा लें जिससे पेड़ की सेहत भी बनी रहे और पर्यावरण को भी नुकसान न हो.
अच्छी खेती की आदतें अपनाएं
पेड़ की छंटाई, पर्याप्त दूरी पर लगाना, और मल्चिंग (गर्मी में मिट्टी को ठंडा रखने के लिए सूखी घास या पत्तियां डालना) जैसी बातें पेड़ को स्वस्थ रखने में मदद करती हैं और मौसम के खराब असर को भी कम करती हैं.
परागण को बढ़ावा दें
पेड़ों के पास मधुमक्खियों को आकर्षित करने वाले फूलों वाले पौधे लगाएं, जिससे परागण बेहतर हो सके. हवा की आवाजाही बनी रहे, इसका भी ध्यान रखें.