उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य सरकार ने हथकरघा, पावरलूम, सिल्क, टेक्सटाइल और गारमेंट उद्योग को दोबारा मजबूती देने का ऐलान किया है. इससे कारीगरों और कारोबारियों को फायदा पहुंचेगा. सरकार ने उन औद्योगिक इकाइयों को वित्तीय सहायता देने का निर्णय लिया है जो उत्तर प्रदेश हैंडलूम, पावरलूम, सिल्क, टेक्सटाइल और गारमेंटिंग नीति-2017 के लागू होने से पहले आंशिक निवेश कर चुकी थीं, लेकिन नीति के दायरे में आने से छूट गई थीं. इस फैसले से प्रदेश के पारंपरिक वस्त्र उद्योग को नई ऊर्जा मिलेगी.
26 औद्योगिक इकाइयों को 60 करोड़ का अनुदान
योगी सरकार ने हमेशा यह सुनिश्चित किया है कि नीतियां सिर्फ कागजों तक सीमित न रहें, बल्कि समय-समय पर योजनाओं की समीक्षा कर उन उद्यमियों की मदद की जाए जो तकनीकी या प्रशासनिक कारणों से योजनाओं का लाभ नहीं ले सके. इसके तहत करीब 26 औद्योगिक इकाइयों को 60 करोड़ रुपये का अनुदान मिलेगा, जिससे उनका उत्पादन बढ़ सकेगा। सरकार ने इन इकाइयों को योजना के दायरे में लाने के लिए शासनादेश जारी किया है, जो इन इकाइयों के लिए राहत का कारण बनेगा.
उत्तर प्रदेश के वस्त्र उद्योग को नया जीवन देने का उद्देश्य
उत्तर प्रदेश हैंडलूम, पावरलूम, सिल्क, टेक्सटाइल और गारमेंटिंग नीति-2017 का उद्देश्य राज्य में वस्त्र उद्योग को बढ़ावा देना, निवेशकों को आकर्षित करना और रोजगार सृजन करना है. इसके अंतर्गत विभिन्न प्रकार के अनुदान और सुविधाओं का प्रावधान किया गया है, जिससे प्रदेश में निवेशक आकर्षित हुए हैं. हालांकि कुछ इकाइयों ने आंशिक निवेश पहले ही किया था, लेकिन वाणिज्यिक उत्पादन नीति की प्रभावी तिथि के बाद शुरू हुआ. ऐसे उद्यमियों को भी इस नीति का लाभ मिलेगा.
उत्पादन क्षमता में इजाफा और रोजगार के नए अवसर
यह निर्णय उन इकाइयों के लिए लाभकारी साबित होगा, जिन्होंने 13 जुलाई 2017 से पहले अपना निवेश किया था, लेकिन वाणिज्यिक उत्पादन बाद में शुरू किया. इससे उत्पादन क्षमता में वृद्धि होगी और नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे. इस कदम से सिल्क, टेक्सटाइल और गारमेंट इकाइयों को स्थायी प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे स्थानीय कारीगरों और बुनकरों को भी फायदा होगा.
औद्योगिक नीति को मिलेगा बल
यह निर्णय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की औद्योगिक नीति के अनुरूप लिया गया है, जिसमें उन्होंने बार-बार यह कहा है कि उत्तर प्रदेश को औद्योगिक विकास का केंद्र बनाना है. इस फैसले से न केवल निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा, बल्कि सरकार की पारदर्शिता और निवेशकों के हितों की रक्षा करने की प्रतिबद्धता भी जाहिर होगी.