मॉडर्न टेक्नोलॉजी से खेती करेंगे हिमाचल-पंजाब के किसान, मुफ्त ड्रोन ट्रेनिंग मिलेगी

मारुत ड्रोन्स के सीईओ और को-फाउंडर प्रेम कुमार विस्लावत ने कहा कि यह ड्रोन यात्रा विकसित भारत संकल्प यात्रा से प्रेरित है. हम पहले चरण में हिमाचल और पंजाब में 15,000 किसानों, ग्रामीण महिलाओं को ट्रेनिंग दे रहे हैं.

Noida | Updated On: 12 Mar, 2025 | 04:39 PM

किसानों को मॉडर्न टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से खेती करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. इसके लिए कृषि क्षेत्र में काम कर रहीं एग्रीटेक कंपनियां ट्रेनिंग दे रही हैं. इसी कड़ी में उनाती कोऑपरेटिव सोसाइटी (UAMMCL) और एग्रीटेक कंपनी मारुत ड्रोन्स ने किसानों को ट्रेनिंग देना शुरू किया है. दोनों कंपनियां हिमाचल और पंजाब में किसानों को ड्रोन की ट्रेनिंग दे रही हैं. इसके लिए हर दिन 5 गांवों में ट्रेनिंग सेशन किए जा रहे हैं. इसके लिए 15 दिन की ड्रोन यात्रा शुरू की गई है.

Unati एग्री अलाइड एंड मार्केटिंग मल्टी-स्टेट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड UAMMCL और भारत की अग्रणी ड्रोन निर्माण और प्रशिक्षण कंपनी मारुत ड्रोन्स ने हिमाचल प्रदेश और पंजाब के कई जिलों में ‘ड्रोन यात्रा’ के पहले फेज़ की शुरुआत की है. इसका मकसद राज्यों में किसानों के बीच जागरूकता बढ़ाना और ड्रोन टेक्नोलॉजी को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना है. यह ड्रोन यात्रा पंजाब और हिमाचल प्रदेश के उन किसानों को ड्रोन टेक्नोलॉजी के लाभों के बारे में शिक्षित और प्रोत्साहित करेगी, जो धान, गेहूं, आलू और इसी तरह की अन्य लोकप्रिय फसलों की खेती करते हैं. ऊना जिले से शुरू होकर यह 15 दिवसीय यात्रा हिमाचल के 2 जिलों और पंजाब के 1 जिले को कवर करेगी, जो पंजाब और हिमाचल प्रदेश की सीमा पर बसे होशियारपुर में खत्म होगी. मारुत-उनाती टीम ड्रोन टेक्नोलॉजी को लेकर जागरूकता बढ़ाने के लिए 15000 से अधिक किसानों से जुड़ेगी और 5 हॉटस्पॉट के 4-5 गांवों में रोजाना प्रदर्शन करेगी.

इनपुट लागत घटेगी और उपज बढ़ेगी

लेबर, उर्वरक और एग्रोकेमिकल्स की बढ़ती कीमतों और खेतों में छिड़काव की जरूरत से ज्यादा वक्त लेने वाली प्रक्रिया के चलते किसान आमतौर पर भारी कर्ज के बोझ तले दबे होते हैं. अनियमित बारिश और मौसम के अप्रत्याशित पैटर्न, क्रॉप साइकल को बाधित करते हैं और पैदावार पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं. इसके अलावा, पानी की अधिक खपत वाली फसलों, जैसे धान की खेती के कारण तेजी से घटता हुआ भूजल स्तर भी राज्यों के लिए चिंता का विषय बन रहा है. जमीनी स्तर की इस पहल का उद्देश्य है इस बारे में जागरूकता पैदा करना कि ड्रोन कैसे फसल की निगरानी को बढ़ा सकते हैं, इनपुट लागत को कम कर सकते हैं और उत्पादकता में सुधार कर सकते हैं ताकि इन मुद्दों का एक स्थायी समाधान प्रदान किया जा सके.

95 फीसदी पानी की बचत कर पाएंगे किसान – सीईओ

मारुत ड्रोन्स के सीईओ और को-फाउंडर प्रेम कुमार विस्लावत ने कहा कि यह ड्रोन यात्रा विकसित भारत संकल्प यात्रा से प्रेरित है. उन्होंने कहा कि कि मारुत ड्रोन और UAMMCL के प्रदर्शन, छिड़काव के मौसम में श्रमिकों की कमी जैसी चुनौतियों को लेकर सीधे किसानों को संबोधित करेंगे. हमें इन प्रदर्शनों के दौरान बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है. किसान छिड़काव के दौरान पानी के इस्तेमाल में कमी देखकर आश्चर्यचकित हैं, जो कि मैनुअल छिड़काव की तुलना में 95 फीसदी कम है. यह काम खेत में प्रवेश किए बिना ही किया जाता है. ड्रोन से किया जाने वाला छिड़काव बहुत सटीक होता है और कीटनाशक की बूंदें मिट्टी में नहीं गिरती हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि मिट्टी उपजाऊ, पोषक तत्वों से भरपूर और विषरहित बनी रहे. इसके साथ ही साथ कीटनाशकों को किसान के शरीर में प्रवेश करने से रोका जा सके.

ड्रोन से छिड़काव केवल 8 मिनट में

हमारा उद्देश्य किसानों को यह बताना है कि ड्रोन किस तरह से पानी के इस्तेमाल को 170 लीटर प्रति एकड़ से सिर्फ़ 10 लीटर प्रति एकड़ तक कम कर सकते हैं. इन राज्यों के किसानों को बड़े खेतों में नैनो उर्वरक का छिड़काव करने में भी संघर्ष करना पड़ा है. मैनुअल रूप से प्रति एकड़ 25 घंटे लगते हैं, लेकिन ड्रोन के साथ इसे सिर्फ़ 8 मिनट में किया जा सकता है. हमारा लक्ष्य है कि इन संगठनों की क्षमता को ज्यादा से ज्यादा बढ़ाना ताकि किसानों को उनकी कृषि उपज पर बेहतर रिटर्न मिलने में मदद मिल सके.

जम्मू और कश्मीर के किसानों को भी देंगे ट्रेनिंग

UAMMCL के संस्थापक ज्योति सरूप ने कहा कि हिमाचल और पंजाब के स्थानीय किसानों को ड्रोन टेक्नोलॉजी अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. पंजाब और हिमाचल प्रदेश में यात्रा पूरी होने के बाद यात्रा का दूसरा फेज़ जम्मू और कश्मीर राज्य की ओर शुरू होगा. ड्रोन यात्रा के अलावा UAMMCL और मारुत ड्रोन ने पंजाब के तलवाड़ा में ‘Unati मारुत ड्रोन अकादमी’ की स्थापना करके ड्रोन पायलट प्रशिक्षण की शुरुआत की है. उन्होंने कहा कि ग्रामीण पंजाब में अपनी तरह के इस पहले आरपीटीओ का मकसद है स्थानीय समुदाय को सशक्त बनाना, ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देना तथा पड़ोसी राज्यों हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर को एड्रेस करना.

Published: 12 Mar, 2025 | 04:35 PM