उत्तराखंड के चार सीमावर्ती जिलों पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी और चंपावत के पशुपालकों ने इंडो-तिब्बतन बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) को मटन, चिकन और मछली की आपूर्ति कर सिर्फ पांच महीनों में लगभग 2.6 करोड़ रुपये तक की कमाई की है. इस बात की जानकारी राज्य के अधिकारियों ने पीटीआई से बातचीत के दौरान दी.
पशुपालन विभाग ने बटालियनों को पशुपालकों से जोड़ा
अधिकारियों ने बताया कि अक्टूबर 2024 से पहले तक आईटीबीपी की बटालियनें मांस और मछली के लिए बड़े शहरों पर निर्भर थीं. लेकिन उत्तराखंड पशुपालन विभाग ने एक नई पहल के तहत इन बटालियनों को स्थानीय पशुपालकों से जोड़ दिया. इसके लिए 30 अक्टूबर 2024 को एक समझौता किया गया, जिसमें 10 सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों को शामिल किया गया.
पांच महीनों में सैकड़ो टन मांस की खपत
अब इन संगठनों से जुड़े 253 किसान सीधे आईटीबीपी की नजदीकी बटालियनों को मटन, चिकन और ट्राउट मछली की आपूर्ति कर रहे हैं. अधिकारियों के मुताबिक, इन किसानों ने पांच महीनों में कुल 79,530 किलोग्राम मांस-मछली सप्लाई की है, जिसमें 42,748 किलोग्राम जीवित बकरी-भेड़, 29,407 किलोग्राम चिकन और 7,374 किलोग्राम ट्राउट मछली शामिल हैं.
20 करोड़ रुपये का सालाना कारोबार
पशुपालन विभाग के सचिव डॉ. बीवीआरसीसी पुरुषोत्तम ने बताया कि किसानों को आपूर्ति के 24 घंटे के भीतर भुगतान किया जा रहा है. इसके लिए विभाग ने 5 करोड़ रुपये का रिवॉल्विंग फंड बनाया है. इस योजना का लक्ष्य सालाना 800 मीट्रिक टन मटन, चिकन और मछली की आपूर्ति करना है, जिससे करीब 20 करोड़ रुपये का सालाना कारोबार होगा और इससे सीमांत किसानों की आय में बड़ा इजाफा होगा.
किसानों को तगड़ा मुनाफा
बातचीत के दौरान पिथौरागढ़ के बरालू गांव के किसान नरेंद्र प्रसाद ने बताया कि वे जनवरी 2025 से आईटीबीपी को हर महीने तीन क्विंटल चिकन बेच रहे हैं. उन्होंने 2022-23 में पोल्ट्री फार्मिंग योजना के तहत मुर्गी पालन शुरू किया था.
मुख्यमंत्री ने पुष्कर सिंह धामी की योजना की सराहना
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस योजना को सराहते हुए कहा कि इससे सीमावर्ती गांवों में आजीविका मजबूत होगी और पलायन रुकेगा.साथ ही सेना को ताजा खाद्य सामग्री मिलती रहेगी.