लोबिया एक ऐसी फसल है जिसकी खेती फरवरी से अक्टूबर तक की जाती है. लोबिया हरी फली, सूखे बीज, हरी खाद और चारे के लिए पूरे भारत में उगाई जाने वाली वार्षिक फसल है. लोबिया मूल रूप से अफ्रीकी फसल है. लोबिया एक ऐसी दलहनी फसल है जिसका उपयोग सब्जी और दाल दोनों के रूप में किया जाता है. साथ ही लोबिया में बहुत सी पोषक तत्व भी मौजूद होते हैं जैसे प्रोटीन, फाइबरआयरन, मैग्नीशियम आदि. लोबिया की बहुत सी ऐसी उन्नत किस्में हैं जिनकी खेती से अच्छी पैदावार होती है. सहकारिता मंत्रालय पैक्स के जरिए किसानों को लोबिया और दलहनी फसलों के हाई क्वालिटी वाले बीज उपलब्ध कराने की तैयारी कर रहा है.
ये हैं लोबिया की उन्नत किस्में
पूसा कोमल: लोबिया की इस किस्म की बुवाई गर्मी , बरसात और बसंत तीनों मौसमों में आसानी से की जा सकती है. बता दें कि पूसा कोमल बैक्टीरिया प्रतिरोधी फसल है. इसकी फलियों का रंग हल्का हरा होताल है और ये 20 से 22 सेमी लंबी होती है. किसानों को इस किस्म की बुवाई करने पर प्रति हेक्टेयर 100 से 120 क्विंटल पैदावार मिलती है.
पंत लोबिया: लोबिया की इस किस्म को चवली भी कहा जाता है. इसका इस्तेमाल कई भारतीय व्यंजनों मे किया जाता है. इसके पौधे करीब डेढ़ फीट के आस-पास होते हैं. बुवाई के लगभग 60 से 65 दिनों के अंदर यब कटाई के लिए तैयार हो जाती है. पंत लोबिया के दानों का रंग सफेद होता है. इसकी फसल लगाने से करीब 15 से 20 क्विंटल की पैदावार होती है.
अर्का गरिमा: अर्का गरिमा को आईआईएचआर यानी भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान के द्वारा विकसित किया गया था. इस किस्म को लंबी, मोटी, गोल और माँसल फलियों के लिए जाना जाता है. इसकी ऊंचाई 2 से 3 मीटर होती है. बुवाई के करीब 40 से 45 दिनों बाद यह किस्त बन कर तैयार हो जाती है. अर्का गरिमा से प्रति हेक्टेयर 80 क्विंटल की पैदावार होती है.
पूसा ऋतुराज: लोबिया की इस किस्म की फलियां 20 से 25 सेमी लंबी होती हैं. इसकी बुवाई के लिए एक विशेश तापमान और रोशनी की जरूरत होती है. इसकी फसल से प्रति हेक्टेयर 70 से 75 क्विंटल पैदावार होती है.
पूसा फाल्गुनी: पूसा फाल्गुनी लोबिया की ऐसी किस्म है जो झाड़ीनुमा होती है. इसकी खेती उत्तर भारत में फरवरी से मार्च के बीच की जाती है. लोबिया की इस किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित किया गया था. इसकी फलियां गाढ़े हरे रंग की, सीधी और 10 से 12 सेमी लंबी होती हैं. इसकी फसल से प्रति हेक्टेयर 80 से 100 क्विंटल पैदावार होती है.