लोन रिकवरी के लिए जबरन जमीन जब्‍त कर रहा है बैंक-नासिक में किसानों की कर्ज माफी की मांग

किसानों ने मांग की है कि या तो उनका कर्ज माफ किया जाए या फिर राष्‍ट्रीय बैंकों की तर्ज पर एक बार में ही सेटलमेंट यानी OTS की मंजूरी मिले. नासिक में जून 2023 से किसानों का प्रदर्शन जारी है.

Noida | Published: 1 Mar, 2025 | 01:26 PM

नासिक में किसान इन दिनों प्रदर्शन पर बैठे हैं. इनका कहना है कि बैंक की तरफ से जबरन कर्ज वसूली की कोशिशें की जा रही हैं. किसानों की मानें तो किसानों के सतबारा खातों में उनके नाम चढ़ाए जा रहे हैं और यह गलत है. किसानों ने मांग की है कि जिन किसानों के नाम सतबारा अकाउंट में चढ़ाए गए हैं, उन्‍हें तुरंत कैंसिल किया जाए. साथ ही सभी किसानों का कर्ज माफ होना चाहिए. बैंक की तरफ से कुछ दिनों पहले कहा गया था कि जिन किसानों ने कर्ज नहीं चुकाया है, उनके खिलाफ सख्‍त कार्रवाई की जाएगी.

जून 2023 से जारी प्रदर्शन

किसानों ने मांग की है कि या तो उनका कर्ज माफ किया जाए या फिर राष्‍ट्रीय बैंकों की तर्ज पर एक बार में ही सेटलमेंट यानी OTS की मंजूरी मिले. डिस्‍ट्रीक्‍ट सेंट्रल बैंक की तरफ से लोन रिकवरी के खिलाफ पिछले करीब दो साल से किसानों का प्रदर्शन जारी है. किसान 1 जून 2023 से प्रदर्शन कर रहे हैं और मांग कर रहे हैं कि उनका पूरा लोन माफ किया जाए. लेकिन अभी तक सरकार की तरफ से इस पर कोई भी संज्ञान नहीं लिया गया है. 28 फरवरी को सरकार का ध्‍यान इस तरफ आकर्षित करने के लिए किसान पूरे दिन धरने पर बैठे. उन्‍होंने डिस्‍ट्रीक्‍ट कलेक्‍टर जलज शर्मा को प्रदर्शन से जुड़ा बयान दिया. कलेक्‍टर ने किसानों के प्रतिनिधिमंडल से कहा कि वह सरकार को इस बारे में अवगत कराएंगे.

मुंबई के आजाद मैदान में धरना

इस बीच तीन मार्च से मुंबई के आजाद मैदान में भी एक धरने का आयोजन होना है. किसान नेताओं ने हर किसी से इस प्रदर्शन में शामिल होने का अनुरोध किया है. प्रदर्शनकारी किसानों का कहना है कि अगर 10 मार्च को पेश होने वाले बजट में कर्ज माफी पर कोई सही फैसला नहीं लिया गया तो फिर उसके बाद मुंबई में एक मार्च निकाला जाएगा. किसानों का कहना है कि उनकी तरफ से साल 2008 से कर्ज माफी की मांग की जा रही है लेकिन इस पर किसी का ध्‍यान ही नहीं जा रहा है.

किसान नेताओं ने उठाए सवाल

शेतकारी संगठन के नासिक जिला इकाई के अध्यक्ष अर्जुन बोराडे और बाकी नेताओं के नेतृत्व में किसानों ने आरोप लगाया कि बैंक किसानों से ऋण वसूली के लिए परेशान करने वाले कदम उठा रहा है, जबकि बड़ी कंपनियों से बकाया राशि वसूलने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है.

बोराडे ने किसानों की मीटिंग में कहा, ‘ऐसा कैसे है कि जब कुछ पूर्व बैंक निदेशकों और अधिकारियों, जिन पर बैंक का 182 करोड़ रुपए बकाया है, से वसूली पर सहकारिता मंत्रालय द्वारा रोक लगा दी जाती है, तो सरकार एक शब्द भी नहीं बोलती? इसके बावजूद 5 से 7 लाख रुपये तक के कर्ज का भुगतान न करने पर बैंक की तरफ से छोटे और सीमांत किसानों की जमीन जब्त की जा रही है, जिस पर मनमाने ढंग से ब्याज भी लगाया जा रहा है.