पंजाब सरकार ने शुक्रवार को बताया है कि केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में राज्य की प्रगति को मान्यता दी है. इसके साथ ही कृषि मंत्रालय की तरफ से राज्य की वित्तपोषण सुविधा (AIF) को 4,713 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 7,050 करोड़ रुपये कर दिया गया है. पंजाब सरकार की तरफ से इस फैसले के लिए कृषि मंत्रालय का आभार जताया गया है. साथ ही उसने कहा है कि इस रकम का प्रयोग किसानों का सशक्त बनाने के लिए किया जाएगा.
पंजाब सरकार ने जताया आभार
बागवानी मंत्री मोहिंदर भगत ने केंद्र की मान्यता के लिए आभार व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि बढ़ा हुआ आवंटन किसानों को सशक्त बनाने के लिए राज्य की प्रतिबद्धता का प्रमाण है. उन्होंने एक बयान में कहा कि बढ़ी हुई धनराशि कृषि बुनियादी ढांचे को आधुनिक बनाने के राज्य के प्रयासों को और तेज करेगी, जिसमें कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं, वेयरहाउसिंग, प्रसंस्करण इकाइयों और मूल्य-संवर्धन पहलों का विकास शामिल है. उन्होंने बताया कि पंजाब एआईएफ (कृषि अवसंरचना निधि) योजना के प्रभावी कार्यान्वयन में अग्रणी बनकर उभरा है. यहां पहले से ही कई ऐसे प्रोजेक्ट्स हैं जो कृषि के पूरे ढांचे को बदल रहे हैं.
कृषि मंत्रालय के अनुसार इस फंड की मदद से कृषि उद्यमियों, किसानों, प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों, किसान उत्पादक संगठनों, स्टार्ट-अप्स, राज्य एजेंसियों, राज्य प्रायोजित सार्वजनिक निजी भागीदारी को वित्तपोषण के लिए आर्थिक सुविधा प्रदान की जाएगी. इस योजना का मकसद देश में कृषि ढांचे में सुधार के लिए प्रोत्साहन और आर्थिक मदद के जरिये से फसल के बाद प्रबंधन और बाकी कार्यों के लिए निवेश हेतु मध्यम से लंबे समय तक के लिए आर्थिक मदद मुहैया कराना है.
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने एआईएफ को लागू करने में पंजाब के नेतृत्व की सराहना की है. केंद्र ने इस बात की तरफ भी ध्यान दिलाया है कि राज्य ने लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है. साथ ही साथ कृषि ढांचे से जुड़ी परियोजनाओं के लिए मंजूरी हासिल करने में देश में शीर्ष स्थान प्राप्त किया है.
केंद्र सरकार का एक ड्राफ्ट नामंजूर
इससे अलग 25 फरवरी को पंजाब राज्य विधानसभा की तरफ से कृषि मार्केटिंग पर राष्ट्रीय नीति ढांचे के मसौदे को सरकार की तरफ से राज्य के हितों के खिलाफ बताया गया था. साथ ही केंद्र के ड्राफ्ट को सरकार ने पूरी तरह से खारिज कर दिया था. पंजाब सरकार का कहना था कि इस ड्राफ्ट में तर्क दिया गया है कि मसौदा नीति एमएसपी पर गेहूं और धान की खरीद पर चुप है, जो पंजाब के किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है. इसके बाद इस बात को लेकर चिंता फिर से बढ़ गई है कि सरकार अंततः इसे खत्म कर सकती है. इसके बजाय, नीति निजी बाजारों को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करती है, जिससे 2020 के किसान आंदोलन के दौरान जैसी आशंकाएं पैदा होती हैं.