बिहार के मखाना किसानों के लिए खुशखबरी, 100 करोड़ की लागत से बनेगा मखाना बोर्ड

मखाना उत्पादन में बिहार देश का प्रमुख राज्य है. यहां के किसान लंबे समय से मखाने की खेती कर रहे हैं, लेकिन उन्हें उचित बाजार और सही कीमत नहीं मिल पाती थी.

Agra | Published: 4 Mar, 2025 | 09:36 AM

बिहार के मखाना किसानों के लिए खुशखबरी है. केंद्र सरकार ने मखाना उद्योग को और अधिक बढ़ावा देने के लिए मखाना बोर्ड (Makhana Board) बनाने की घोषणा की है. इस बोर्ड के गठन के लिए 100 करोड़ रुपये का शुरुआती निवेश किया जाएगा. यह पहल मखाना किसानों की आय बढ़ाने और उनके उत्पादों को बेहतर बाजार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.

सरकार की सक्रियता

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अधिकारियों को इस योजना की प्रक्रिया को जल्द पूरा करने का निर्देश दिया है. उन्होंने कहा कि इस बोर्ड का गठन किसानों के हितों को ध्यान में रखकर किया जाएगा और इससे जुड़े सभी पहलुओं पर तेजी से काम किया जाएगा. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुई समीक्षा बैठक में खरीफ फसलों की बुवाई, मौजूदा बाजार स्थितियों और आगामी मौसम पूर्वानुमान पर भी चर्चा की गई.

किसानों को होगा फायदा

मखाना उत्पादन में बिहार देश का प्रमुख राज्य है. यहां के किसान लंबे समय से मखाने की खेती कर रहे हैं, लेकिन उन्हें उचित बाजार और सही कीमत नहीं मिल पाती थी. मखाना बोर्ड के गठन से किसानों को उचित मूल्य और विपणन की बेहतर सुविधाएं मिलेंगी. साथ ही, यह बोर्ड अनुसंधान और आधुनिक तकनीकों को अपनाने में भी किसानों की मदद करेगा.

खरीफ फसलों की बुवाई 

मंत्री ने खरीफ फसलों की बुवाई की प्रगति की समीक्षा भी की. आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2023-24 में खरीफ फसलों का कुल रकबा 21.84 लाख हेक्टेयर था, जो 2024-25 में बढ़कर 22.31 लाख हेक्टेयर हो गया. इससे पता चलता है कि किसानों की रुचि खरीफ फसलों की ओर बढ़ रही है.

प्याज, आलू और टमाटर की बुवाई के लिए सही समय

बैठक में कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी और मंत्रालय के अन्य अधिकारी भी मौजूद थे. अधिकारियों ने बताया कि प्याज, आलू और टमाटर की बुवाई के लिए अभी अनुकूल समय है. मौजूदा बाजार मूल्यों को देखते हुए, इन फसलों की बुवाई को और बढ़ावा देने की जरूरत है. अब तक प्याज की बुवाई 10.29 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जो पिछले साल से 1.66 लाख हेक्टेयर अधिक है. इसी तरह, आलू की बुवाई 19.82 लाख हेक्टेयर में हुई है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 0.31 लाख हेक्टेयर अधिक है.