पशुपालकों का जीवन बदल रहीं ये 6 स्कीम, कमाई बढ़ाने में मिली मदद

सरकार की 6 स्कीम्स ने पशुपालन को सोने की खान बना दिया, देसी नस्लों से दूध और मांस तक सब चमक रहा है. किसानों की कमाई बढ़ी है और गांवों में खुशहाली आई.

नोएडा | Updated On: 10 Apr, 2025 | 06:49 PM

पशुपालन अब किसानों के लिए सोने की खान बन रहा है. सरकार की 6 धांसू स्कीम्स ने देसी नस्लों से लेकर दूध की क्वालिटी तक सबकुछ बदल दिया है. किसानों के दिन बेहतर हो रहे हैं. इसके पीछे की वजह है पशुपालन को नई ऊंचाई देने वाली सरकार की 6 शानदार स्कीम्स. ये योजनाएं देसी गायों को ताकत देने से लेकर दूध और मांस के धंधे तक,हर मोर्चे पर कमाल कर रही हैं. तो चलिए जानते हैं इन योजनाओं के बारे में.

राष्ट्रीय गोकुल मिशन

देसी बोवाइन नस्लों को नई ताकत देने के लिए दिसंबर 2014 से राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम) चल रहा है. ये स्कीम दूध की बढ़ती जरूरत को पूरा करने और ग्रामीण किसानों के लिए डेयरी को फायदे का धंधा बनाने में अहम है. दूध की पैदावार और पशुओं की प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के लिए ये मिशन बड़ा दांव है. 2400 करोड़ रुपये के बजट के साथ ये 2021 से 2026 तक राष्ट्रीय पशुधन विकास योजना के तहत काम कर रहा है. राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत, पशुपालन और डेयरी विभाग देशी नस्लों सहित गाय-भैंस जैसे बोवाइन पशुओं के दूध उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाने के लिए कृत्रिम गर्भाधान कवरेज का विस्तार कर रहा है. अब तक 7.3 करोड़ पशुओं को इसके तहत कवर किया गया है और 10.17 करोड़ कृत्रिम गर्भाधान किए जा चुके हैं, जिससे 4.58 करोड़ किसान लाभान्वित हुए हैं.

राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी)

भारत सरकार ने फरवरी 2014 में राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी) शुरू किया, जिसका उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण दूध का उत्पादन बढ़ाना और दूध की खरीद, प्रोसेसिंग व बिक्री के लिए बुनियादी ढांचा मजबूत करना है. योजना को 2021-22 से 2025-26 तक लागू करने के लिए जुलाई 2021 में पुनर्गठित किया गया, जिसमें 1790 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया. अब तक 30 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में 195 परियोजनाओं को 3311.10 करोड़ रुपये (केंद्र का हिस्सा 2479.06 करोड़ रुपये) की लागत से मंजूरी दी गई है. राज्यों को 1824.60 करोड़ रुपये जारी किए गए, जिनमें से 1429.62 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं. इस योजना के तहत
अब तक 16,794 डेयरी सहकारी समितियां पुनर्जीवित हुईं, 30,066 स्वचालित दूध संग्रह इकाइयां लगीं, 24 लाख लीटर प्रतिदिन की अतिरिक्त दूध प्रोसेसिंग क्षमता तैयार हुई और 82 डेयरी संयंत्रों को मजबूत किया गया.

पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण

पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण कार्यक्रम भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य पशुओं के स्वास्थ्य को बेहतर बनाना और बीमारियों को नियंत्रित करना है. इसके तहत राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनएडीसीपी) चलाया जा रहा है, जिसके माध्यम से एफएमडी और ब्रूसेलोसिस के खिलाफ टीकाकरण किया जाता है. इसका लक्ष्य 2025 तक एफएमडी पर नियंत्रण और 2030 तक इसका उन्मूलन करना है. इससे घरेलू उत्पादन में वृद्धि होगी और दूध व पशुधन उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा. कार्यक्रम के तहत पीपीआर (पेस्ट डेस पेटिट्स रूमिनेंट्स) और सीएसएफ (क्लासिकल स्वाइन फीवर) जैसी बीमारियों के खिलाफ भी टीकाकरण किया जा रहा है. राज्यों को आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण विदेशी, आकस्मिक और जूनोटिक पशु रोगों के नियंत्रण के लिए सहायता दी जा रही है. इसके अलावा, सरकार ने दूरदराज के क्षेत्रों में किसानों को बेहतर सेवाएं देने के लिए मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयों (एमवीयू) की स्थापना और मजबूत बनाने के लिए 100% वित्तीय सहायता प्रदान की है.

राष्ट्रीय पशुधन मिशन

यह भारत सरकार की एक योजना है, जो पशुपालन को बेहतर और मजबूत बनाने के लिए चलाई जा रही है. इसका मकसद है कि पशुओं से होने वाली कमाई बढ़े, लोगों को नौकरी मिले और छोटे व्यवसाय शुरू करने में मदद हो. इस योजना से मांस, बकरी का दूध, अंडे और ऊन जैसी चीजों का उत्पादन बढ़ाया जा रहा है. इससे देश की जरूरतें पूरी होंगी.इसका लक्ष्य है कि गांवों में पशुपालन करने वालों को बड़ा बाजार मिले. इसके लिए नए लोग तैयार किए जा रहे हैं, जो पशुओं से मिलने वाली चीजों को सही तरीके से तैयार करके बेच सकें. इससे पशुपालकों को अच्छे दाम मिलेंगे और उनका माल आसानी से बाजार तक पहुंचेगा. इस योजना के तहत पीपीआर (पेस्ट डेस पेटिट्स रूमिनेंट्स) और सीएसएफ (क्लासिकल स्वाइन फीवर) जैसी बीमारियों का भी टीकाकरण किया जा रहा है. राज्यों को पशु रोगों के नियंत्रण के लिए सहायता दी जा रही है. सरकार दूरदराज के किसानों को पशु चिकित्सा सेवाएं देने के लिए मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयों (एमवीयू) की स्थापना कर रही है और इसके लिए राज्यों को 100% वित्तीय सहायता दे रही है.

पशुपालन अवसंरचना विकास निधि

आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत पशुपालन अवसंरचना विकास निधि (एएचआईडीएफ) की स्थापना की गई, जिसके लिए 15,000 करोड़ रुपये का कोष बनाया गया है. इस योजना के तहत व्यक्तिगत उद्यमी, निजी कंपनियां, एमएसएमई, एफपीओ और धारा 8 कंपनियां डेयरी और मांस प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन अवसंरचना, पशु आहार संयंत्र और नस्ल सुधार प्रौद्योगिकी में निवेश कर सकती हैं.इसका उद्देश्य दूध और मांस प्रसंस्करण क्षमता बढ़ाना, असंगठित उत्पादकों को संगठित बाजार से जोड़ना, उत्पादकों को बेहतर मूल्य दिलाना, निर्यात को बढ़ावा देना और उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण प्रोटीन युक्त भोजन उपलब्ध कराना है.

किसान क्रेडिट कार्ड

2019 के बाद पहली बार, पशुधन और डेयरी किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) की सुविधा दी गई, जिससे उन्हें आसान ऋण मिलना संभव हुआ. विश्व दुग्ध दिवस पर यह साफ हुआ कि भारत का डेयरी क्षेत्र सिर्फ कृषि अर्थव्यवस्था का आधार नहीं है, बल्कि यह विकास, नए बदलाव और सशक्तिकरण का भी उदाहरण है. भारत ने दूध उत्पादन में बड़ी सफलता पाई है. सहकारी समितियों में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी और डेयरी फार्मिंग में नई तकनीक ने दुनिया के सामने एक मिसाल पेश की है। इससे दिखता है कि पशुधन का सही उपयोग कर कोई भी देश अपनी अर्थव्यवस्था और लोगों का भला कर सकता है.

Published: 10 Apr, 2025 | 07:40 PM