250 के आंकड़े पर सिमटी सेक्रेड लंगूर की आबादी, सरकार ने उठाया बड़ा कदम

शांत जंगलों में रहने वाला यह खास लंगूर अब धीरे-धीरे गायब होता जा रहा है. हाल ही में हुई गणना में पता चला कि पूरे हिमाचल में इनकी संख्या सिर्फ 250 रह गई है.

नई दिल्ली | Published: 29 Apr, 2025 | 02:54 PM

हिमाचल प्रदेश की वादियों में एक अनोखी और दुर्लभ प्रजाति है चंबा सेक्रेड लंगूर, जिसे लोग “पवित्र लंगूर” भी कहते हैं. शांत जंगलों में रहने वाला यह खास लंगूर अब धीरे-धीरे गायब होता जा रहा है. हाल ही में हुई गणना में पता चला कि पूरे हिमाचल में इनकी संख्या सिर्फ 250 रह गई है. यह आंकड़ा न सिर्फ चिंता की बात है, बल्कि एक अलार्म है कि अगर अब भी कुछ नहीं किया गया, तो आने वाली पीढ़ियां इसे सिर्फ किताबों और तस्वीरों में ही देख पाएंगी.

क्यों खास हैं चंबा सेक्रेड लंगूर?

चंबा सेक्रेड लंगूर दिखने में बेहद खूबसूरत होता है. इनके शरीर पर हल्के ग्रे रंग के बाल होते हैं और इनकी लंबी पूंछ इन्हें बाकी लंगूरों से अलग बनाती है. इन्हें हिमालयन ग्रे लंगूर भी कहा जाता है.

इनकी एक और खासियत है इनकी खुराक. ये लंगूर फूल, जड़ें, फल, बीज, छाल और कलियां खाकर ही जिंदा रहते है. साफ- साफ कहें तो ये जंगल में मौजूद प्राकृतिक चीजों पर ही निर्भर रहते हैं. यही बात इन्हें बाकी लंगूरों से अलग बनाती है.

कहां मिलते हैं ये लंगूर?

फिलहाल यह प्रजाति चंबा जिले के ऊंचाई वाले जंगलों में ही सुरक्षित देखी गई है. कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि ये कश्मीर या पाकिस्तान के कुछ हिस्सों में भी हो सकते हैं, लेकिन इसका कोई पक्का सबूत नहीं मिला है. इसलिए आज यह प्रजाति दुनिया में सिर्फ चंबा में ही पाई जाती है.

क्यों घट रही है इनकी संख्या?

  • जंगलों की कटाई से इनका घर छीना जा रहा है.
  • शहरों का फैलाव और इंसानी दखल इनके जीवन को लगातार मुश्किल बना रहा है.
  • कुछ जगहों पर इन पर हमले या शिकार की घटनाएं भी देखी गई हैं.

सरकार का बड़ा फैसला और संरक्षण की पहल

अब जब खतरा सिर पर है, तो वन विभाग ने कमर कस ली है. चंबा के मुख्य वन अधिकारी के मुताबिक, विभाग ने एक विशेष संरक्षण अभियान शुरू किया है. जिसके तहत स्थानीय ग्रामीणों को जागरूक किया जा रहा है कि वे इन लंगूरों को नुकसान न पहुंचाएं. साथ ही लोगों को बताया जा रहा है कि यह केवल चंबा नहीं, पूरी दुनिया की धरोहर है. जंगलों से सटे गांवों में प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं.