बुंदेलखंड के कुछ हिस्से बंजर हैं. बंजर मतलब सिर्फ सूखी धरती नहीं, बल्कि वो जगह जहां उम्मीदें भी अक्सर तपती धूप में झुलस जाती हैं. जहां किसान बरसात की हर बूंद को ऐसे देखता है जैसे मां के सूने आंगन में बेटे की दस्तक हो. जहां तालाब तो हैं, लेकिन पानी नहीं. जहां खेत हैं, लेकिन नमी नहीं. ऐसी ही एक बंजर जमीन है बांदा जिले का अंधाव गांव. अपने गांव की हालत सुधारने के लिए रामबाबू तिवारी ने बीड़ा उठा लिया है. हालांकि, वह अब सिर्फ अपने गांव की बजाय कई दर्जन गांवों में जमीन को लहलहाने और हरियाली से भरने के मिशन में जुटे हैं. उन्होंने ठान लिया है सूख चुके तालाबों को फिर से जिंदा करने का. क्या है इनकी कहानी? चलिए जानते हैं.
7 हजार रुपये से शुरू हुआ बदलाव का कारवां
रामबाबू तिवारी ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से पर्यावरण में ग्रेजुएशन और रिसर्च प्रोजेक्ट पूरे किए हैं. हालांकि, अपनी इस जर्नी के लिए उन्होंने कोई सरकारी टेंडर नहीं लिया, किसी NGO का प्रोजेक्ट भी नहीं पकड़ा, बल्कि खुद अपनी जेब से 7 हजार रुपये झोंक दिए. उन्होंने मिट्टी की मेड़ खड़ी की, ताकि बरसात का पानी ठहर सके, रुके और जमीन में उतरे. फिर शुरू हुआ आंदोलन खेत का पानी खेत में, गांव का पानी गांव में. धीरे-धीरे गांव वाले जुड़े और खेतों में मेड़ें चढ़ने लगीं. ‘किसान इंडिया’ से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि उनके इस प्रयास में लोगों ने धन के साथ- साथ श्रम योगदान भी दिया.
500 बीघे जमीन पर मेड़बंदी कराई
रामबाबू तिवारी की मेहनत और लोगों के सहयोग का नतीजा यह है कि आज 500 बीघे जमीन पर मेड़बंदी हो चुकी है. सिर्फ मेड़ें नहीं, उन मेड़ों पर पेड़ लग रहे हैं, ताकि नमी बचे, हरियाली लौटे. उनका कहना है कि बुंदेलखंड की पहचान सिर्फ सूखा न रहे, कुछ हरा भी हो. उनके और गांव वालों के इस प्रयास से जहां पहले धान नहीं बोया जाता था, अब खेतों में नमी है. पहले जो पानी बरसता था, वह बहकर नालों के जरिए यमुना में चला जाता था. मेड़ चढ़वाने से अब खेतों में बरसात का पानी रुकेगा. इससे अंधाव में भी धान बोया जा सकेगा.

Rambabu Tiwari Pond keeper Bundelkhand
तीन तालाब जो कभी सुखे थे, अब हरे भरे हैं
बजरंग सागर, झलिया तालाब और देवन तालाब,नाम सुनकर लगता है जैसे कोई पुरानी कहानी के किरदार हों. लेकिन ये असल में गांव की जलधरोहर हैं, जिन्हें कभी भुला दिया गया था. रामबाबू और गांव के लोगों ने मिलकर तालाब के चौतरफा बांध बनाने के साथ- साथ तालाब की भी सफाई किया. इसके अतिरिक्त उन्होंने बजरंग सागर में एक वाटर टैंक का निर्माण कराया.

Rambabu Tiwari Pond keeper Bundelkhand
कार्तिक पूर्णिमा पर तालाब महोत्सव
उन्होंने बताया कि 2017 से हर साल कार्तिक पूर्णिमा पर ‘तालाब महोत्सव’ आयोजित किया जाता है. इस दिन गांवों में लोग एकत्र होते हैं और तालाब की पूजा की जाती है. इसके बाद कन्याओं का पूजन होता है. इतना ही नहीं, तालाब के किनारे मानव श्रृंखला बनाई जाती है और फिर दंगल का आयोजन होता है. इसके अतिरिक्त हर महीने गांवों में पानी चौपाल लगाई जाती है, जहां केवल चर्चा नहीं, बल्कि जल संरक्षण के लिए संकल्प भी लिया जाता है और दीवारों पर जल संरक्षण से जुड़ी पेंटिंग्स बनाई जाती हैं. इसके अलावा बच्चे फोक डांस करते हैं.