केंद्र सरकार खेती को सौदे का धंधा बनाने के लिए कई तरह की योजनाओं और पहलों को लागू कर रही है. जबकि, मिट्टी की घटती उर्वरा शक्ति सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है. इसके लिए प्राकृतिक खेती और जैविक खेती पर जोर दिया जा रहा है. लेकिन मिट्टी के सुधार के लिए कुछ ऐसे सूक्ष्मजीव की जरूरत है जो बॉयोफर्टिलाइजर के रूप में काम करते हैं और मिट्टी की ताकत को बढ़ा देते हैं. वैसे इन्हें कहा तो सूक्ष्मजीव जाता है लेकिन यह काम पोषण देने का करते हैं. इसीलिए खेती में इनके इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जा रहा है.
भारतीय मृदा जल संरक्षण संस्थान (ICAR-IISWC) देहरादून के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. एम मुरुगानंदम ने ‘किसान इंडिया’ को बताया कि मिट्टी में कई प्रकार के सूक्ष्मजीव पाए जाते हैं, जिन्हें जैव उर्वरक(Biofertilizer) के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. यह मिट्टी की उर्वरा शक्ति और खेत में लगी फसलों के पौधों की ग्रोथ में अहम भूमिका निभाते हैं. लेकिन, इनका सही मात्रा में इस्तेमाल करना जरूरी है.
राइजोबियम
कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि राइजोबियम (Rhizobium) सूक्ष्मजीव मिट्टी में वायुमंडलीय नाइट्रोजन को पौधों के इस्तेमाल लायक बनाने में मदद करता है. इससे पौधों को नाइट्रोजन मिलती है. नाइट्रोजन पौधों के विकास के लिए जरूर होता है.
ऐज़ोटोबैक्टर
ऐज़ोटोबैक्टर (Azotobacter) सूक्ष्मजीव भी नाइट्रोजन स्थिर बनाने में मदद करता है. इससे पौधों को बढ़ाने वाले हार्मोन को पैदा करता है. इसकी मदद से पौधे तेजी से बड़े होते हैं और उनमें फूलों की प्रक्रिया शुरू होती है.
फॉस्फेट सॉल्यूबिलाइजिंग
फॉस्फेट सॉल्यूबिलाइजिंग सूक्ष्मजीव को शॉर्ट में पीएसबी (PSB) भी कहा जाता है. यह बैक्टीरिया मिट्टी में मौजूद नहीं घुलने वाले फॉस्फोरस को पौधों के लिए इस्तेमाल में उपलब्ध कराता है. इससे पौधों की ग्रोथ तेजी से होती है.
ट्राइकोडर्मा
ट्राइकोडर्मा (Trichoderma) एक तरह का फंगस है, जो पौधों को रोगों से लड़ने में सक्षम बनाता है. इसकी मदद से फसल में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. यह मिट्टी की क्वालिटी को सुधारता भी है. इस वजह से यह फसलों के लिए काफी जरूरी हो जाता है.
बैसिलस
बैसिलस (Bacillus) सूक्ष्मजीव पौधों में संक्रामक रोगों से लड़ने की ताकत विकसित करता है. इसकी मदद से पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और पोषण में सुधार भी करता है. यह बैक्टीरिया फसल विकास के हर चरण में अहम भूमिका निभाता है.
वैज्ञानिक डॉ. एम मुरुगानंदम ने बताया कि किसानों को अपने खेतों में इन सूक्ष्मजीव का इस्तेमाल करना चाहिए. हालांकि, सही मात्रा में इस्तेमाल किया जाए. ताकि, फसल उत्पादन और क्वालिटी बैहतर हो सके. बाजार में इन सूक्ष्मजीव के इस्तेमाल से बनी पोषक उत्पाद भी आते हैं, जिन्हें खरीदकर किसान इस्तेमाल कर सकते हैं. हालांकि, किसी भी तरह के पोषण उत्पादों का इस्तेमाल करने से पहले किसान नजदीकी जिला कृषि कार्यालय या कृषि विज्ञान केंद्र से सलाह जरूर लें.