बेल के पौधे में छुपा है स्वास्थ्य और आमदनी का राज, जानिए कैसे करें खेती

अगर आपके पास थोड़ी सी जमीन है और आप बेल की खेती करके कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं.

नई दिल्ली | Published: 18 Apr, 2025 | 04:17 PM

बेल यानी “बिल्व” भारत में यह सिर्फ एक धार्मिक पेड़ नहीं, बल्कि सेहत और कमाई दोनों का जरिया भी है. अगर आपके पास थोड़ी सी जमीन है और आप इसकी खेती करके कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं. इस पेड़ की खास बात है कि इसे लगाने के बाद देखभाल की जरूरत न के बराबर रहती है. तो आइए जानते हैं कैसे करें बेल की खेती.

मिट्टी का चयन

बेल की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है. ऐसी मिट्टी पानी को जल्दी निकाल देती है और जड़ों को गलने से बचाती है. बेल का पौधा उष्ण-शुष्क और अर्ध-शुष्क जलवायु में अच्छी तरह पनपता है. यानी राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार जैसे राज्यों के किसान इसे आसानी से उगा सकते हैं.

बुवाई का समय और तरीका

बेल के पौधों की बुवाई के लिए दो समय सबसे बेहतर होते हैं. पहला फरवरी से मार्च तक और दूसरा, जुलाई से अगस्त तक. ध्यान रखें कि हर पौधों के बीच 6 से 8 मीटर की दूरी होनी चाहिए, ऐसे करने से पेड़ फैलकर बढ़ें हो पाते हैं और उन्हें अच्छी हवा-पानी मिलती है.

हर बेल के पौधे के लिए लगभग 60 सेंटीमीटर गहराई और चौड़ाई वाला गड्ढा तैयार करें. इसमें 3 से 4 टोकरी सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाएं. साथ ही, 20 से 25 किलोग्राम बालू और करीब 1 किलो चूने का सिक्सचर बनाकर गड्ढे भर दें. जब पौधा लगा दें, तो तुरंत हल्की सिंचाई करें, ताकि उसकी जड़ें मिट्टी में अच्छी तरह जम जाएं और बढ़वार शुरू हो सके.

खाद और पोषण की जरूरत

बेल के पौधे को बहुत ज्यादा खाद की जरूरत नहीं होती. लेकिन अच्छी पैदावार के लिए थोड़ा बहुत पोषण देना जरूरी होता है. समय-समय पर गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट, नीम की खली और हड्डी की भूसी जैसे जैविक खाद डालने से पेड़ जलदी बढ़ते हैं.

बेल की प्रमुख किस्में

अगर आप बेल की अच्छी पैदावार चाहते हैं, तो इन अनुसंधान केंद्रों द्वारा विकसित किस्मों का चयन करें:

  • नरेंद्र बेल (NB)-5
  • नरेंद्र बेल (NB)-6
  • नरेंद्र बेल (NB)-7
  • नरेंद्र बेल (NB)-9
  • नरेंद्र बेल (NB)-16
  • नरेंद्र बेल (NB)-17

बेल के फलों का इस्तेमाल

  • बेल का फल का शरबत गर्मियों में बहुत फायदेमंद होता है, जो शरीर को ठंडक देता है.
  • ताजा फल सीधे भी खाया जा सकता है.
  • मुरब्बा और स्क्वैश बनाने में भी इसका इस्मेला किया जाता है.
  • बेल से टॉफी और कैंडी भी बाजार में इन दिनों नजर आने लगी है.