आधुनिक कृषि में महिलाओं की नई पहचान बनी सपना कल्लिंगल

सपना कल्लिंगल ने अपने पति की मृत्यु के बाद खेती को अपनाया और आज वे एक सफल किसान बनकर उभरी हैं. उनका 15 एकड़ का फार्म एक सस्टेनेबल और प्रॉफिटेबल मॉडल का उदाहरण बन गया है.

Noida | Updated On: 15 Mar, 2025 | 10:36 PM

खेती-किसानी को अब तक पुरुषों का क्षेत्र माना जाता था, लेकिन कुछ महिलाएं इस सोच को बदलकर मिसाल कायम कर रही हैं. केरल के त्रिशूर जिले की सपना कल्लिंगल ऐसी ही एक प्रेरणादायक महिला हैं, जिन्होंने अपने पति की आकस्मिक मृत्यु के बाद न सिर्फ खेती को अपनाया, बल्कि इसे एक सस्टेनेबल और प्रॉफिटेबल मॉडल तयार करना है.

आईटी से खेती की दुनिया तक का सफर

उनका 15 एकड़ का ‘कल्लिंगल प्लांटेशन’ आज पारंपरिक और आधुनिक कृषि तकनीकों  का बेहतरीन उदाहरण बन चुका है. यहां फसल उत्पादन, पशुपालन और मत्स्य पालन को संतुलित इकोसिस्टम में शामिल किया गया है, जिससे आय के कई स्रोत बने रहते हैं. उनकी सफलता न सिर्फ किसानों, बल्कि उन महिलाओं के लिए भी प्रेरणा है, जो आत्मनिर्भर बनने का सपना देखती हैं.

सपना कल्लिंगल ने कॉमर्स में पोस्ट-ग्रेजुएशन किया है, और वह एक आईटी प्रोफेशनल भी थीं. उनका जीवन सामान्य तरीके से आगे बढ़ रहा था, लेकिन उनके पति सिबी कल्लिंगल की अचानक मृत्यु ने उनकी दुनिया पूरी तरह बदल दी.

उनके पति सिबी कल्लिंगल एक राष्‍ट्रीय पुरस्कार विजेता किसान थे, जिन्होंने अपने जीवन का अधिकांश समय खेती को समर्पित किया था. उनकी अंतिम इच्छा थी कि उनकी खेती जारी रखी जाए. सपना ने अपने पति के इस सपने को साकार करने के लिए खेती में कदम रखा और न सिर्फ अपने पति के सपनों को पूरा किया, बल्कि खुद भी एक सफल किसान बनकर उभरीं.

परंपरागत खेती को बदला

15 साल पहले जब सपना ने खेती की दुनिया में कदम रखा, तब यह क्षेत्र पुरुषों का गढ़ माना जाता था. लेकिन उन्होंने इस चुनौती को स्वीकार किया और परंपरागत खेती के तरीकों में सुधार करते हुए टिकाऊ कृषि का एक नया मॉडल तैयार किया. उनके प्रयासों को न केवल राज्य बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी सराहा गया.  उन्होंने ICAR का SPICE अवॉर्ड और स्टेट करशाका तिलकम जैसे कई अवॉर्ड जीते हैं.

The Hindu की रिपोर्ट के अनुसार उनका कहना है, ‘हम पारंपरिक कृषि ज्ञान को आधुनिक तकनीकों के साथ मिलाकर एक टिकाऊ कृषि मॉडल तैयार कर रहे हैं.’ उनके खेत में मसालों, फलों और सब्जियों के अलावा मवेशी, घोड़े, सजावटी मछलियां, मुर्गियां और पक्षी भी हैं, जिससे आय के कई स्रोत बने रहते हैं.

कृषि में नए प्रयोग और टिकाऊ मॉडल

सपना कल्लिंगल का फार्म एक इंटीग्रेटेड फार्मिंग मॉडल का बेहतरीन उदाहरण है. जिससे उन्हें सिर्फ एक ही फसल पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं पड़ती. उनका यह मॉडल सिंचित कृषि, जैविक खेती और पशुपालन का संयोजन है, जिससे खेत की उत्पादकता और आर्थिक स्थिरता बनी रहती है. उनके फार्म की कुछ खास बातें हैं जैसे यहां पर मसाले, सब्जियां और फल उगाए जाते हैं. यहां गाय, घोड़े, मुर्गी पालन और सजावटी पक्षी हैं.  सजावटी मछलियों का पालन किया गया है जो एक अलग और अनूठा आय स्रोत है.

बिना किसी रासायनिक खाद और कीटनाशकों के उच्च गुणवत्ता वाली फसलें उगाना. उनका कहना है, ‘हम जैविक खेती को प्राथमिकता देते हैं ताकि मिट्टी की सेहत बनी रहे और उपभोक्ताओं को शुद्ध, रसायन-मुक्त खाद्य पदार्थ मिल सके.’

महिला किसान के तौर पर सफलता की नई मिसाल

खेती में महिलाओं की भागीदारी अक्सर सीमित मानी जाती है, लेकिन सपना कल्लिंगल ने इसे गलत साबित किया। उनकी सफलता को देखते हुए त्रिशूर मैनेजमेंट एसोसिएशन ने उन्हें ‘वुमन एंटरप्रेन्योर अवॉर्ड’ से सम्मानित किया हैं. यह पुरस्कार उनके कृषि में नवाचार, आत्मनिर्भरता और नेतृत्व क्षमता को दर्शाता है. सपना कल्लिंगल सिर्फ अपनी खेती तक सीमित नहीं हैं, बल्कि किसानों के अधिकारों और पहचान को लेकर भी आवाज उठाई हैं. उनका मानना है कि किसान देश की रीढ़ की हड्डी हैं, लेकिन उन्हें वह सम्मान और समर्थन नहीं मिलता, जिसके वे हकदार हैं.

भविष्य की योजनाएं

सपना कल्लिंगल की योजना है कि वे अपने फार्म को एक सीखने और रिसर्च केंद्र के रूप में विकसित करें, जहां अन्य किसान टिकाऊ खेती के तरीकों को सीख सकें. वे चाहती हैं कि ज्यादा से ज्यादा किसान जैविक और इंटीग्रेटेड फार्मिंग अपनाएं, जिससे कृषि लाभदायक और पर्यावरण के अनुकूल बन सके.

Published: 16 Mar, 2025 | 11:00 AM