लहसुन अपने औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है और सेहत के साथ-साथ किसानों की आर्थिक सेहत सुधारने में भी मदद कर सकता है. पंजाब के मोगा जिले के रोडे गांव के किसान भूपिंदर सिंह रोडे ने अपनी खेती में बदलाव कर लहसुन के बीज से जबरदस्त मुनाफा कमाया है. भूपिंदर सिंह के पास 20 एकड़ जमीन है. वह सिर्फ ढाई एकड़ में लहसुन के बीज की खेती करते हैं. जबकि 17.5 एकड़ जमीन पर वह गेहूं, आलू, सरसों, दाल जैसी पारंपरिक खेती करके मुनाफा कमाते हैं.
ज्यादा मुनाफा देता लहसुन
लहसुन के बीजों की बाजार में अच्छी कीमत मिलती है. पारंपरिक फसलों की तुलना में लहसुन के बीज अधिक मुनाफा देते हैं. वहीं इस खेती में अभी कम किसान हैं, जिससे बाजार में अच्छी कीमत मिलती है. भूपिंदर सिंह की सफलता यह दिखाती है कि अगर किसान पारंपरिक खेती से हटकर नए विकल्प अपनाएं, तो वे कम जमीन में भी ज्यादा लाभ कमा सकते हैं. लहसुन बीज उत्पादन एक ऐसा ही विकल्प है, जो किसानों की आमदनी बढ़ा सकता है.
खेती से कमाया जबरदस्त मुनाफा
किसान भूपिंदर सिंह के अनुसार उन्होंने लहसुन के बीज की खेती से जबरदस्त मुनाफा कमाया है. हालांकि, इस खेती में शुरुआती निवेश अधिक होता है, लेकिन सही तकनीक और योजना से यह बेहद लाभदायक साबित हो सकती है. भूपिंदर सिंह दो प्रमुख हाइब्रिड किस्में उगाते हैं, जी-386 यानी बड़ी कली वाली और जी-323 जो छोटी कली वाली किस्म होती है. भूपिंदर, लहसुन के बीज के लिए 4 क्विंटल बीज, लहसुन की कलियों के लिए लगभग 1.60 लाख रुपये प्रति एकड़ खर्च करते हैं.
कितना होता है खेती में निवेश
जहां बुवाई और खेत तैयार करने के लिए मजदूरी के तौर पर उन्हें 15,000 रुपये खर्च करने पड़ते हैं. वहीं, खाद और स्प्रे पर 5,000 खर्च होते हैं. जबकि कटाई और मजदूरी पर 15,000 रुपये खर्च होते हैं. वहीं फसल तैयार होने के बाद बल्ब निकालने की लागत 26,000 रुपये आती है. इस तरह से प्रति एकड़ 2.5 लाख रुपये प्रति एकड़ का खर्च आता है.
क्या यह खेती फायदेमंद है?
लहसुन के बीज की कीमत पारंपरिक फसलों से ज्यादा होती है. पारंपरिक फसलों की तुलना में लहसुन बीज की खेती काफी अधिक रिटर्न देती है. अभी इस खेती में कम किसान हैं, जिससे बेहतर कीमत मिलती है.
भूपिंदर सिंह के अनुसार इस खेती में उच्च लागत के बावजूद, लाभ भी बहुत ज्यादा है. उन्हें कटाई के समय 80 क्विंटल प्रति एकड़ की फसल मिलती है. सूखने के बाद 37 से 42 क्विंटल प्रति एकड़ की फसल बच जाती है. जबकि इसका बिक्री मूल्य 400 से 450 प्रति किलोग्राम तक होता है. इस तरह से कुल आय करीब 16 से 18 लाख प्रति एकड़ तक होती है.
पारंपरिक फसलों की तुलना में कई गुना ज्यादा लाभ मिलता है. भूपिंदर के अनुसार कम अनुकूल मौसम के बावजूद भी इस खेती से 6-7 लाख रुपये प्रति एकड़ तक मुनाफा कमाया जा सकता है, जो 17.5 एकड़ में उगाई जाने वाली पारंपरिक फसलों से होने वाले मुनाफे से काफी ज्यादा है.