आज हम आपको एक ऐसे किसान के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने कम सैलरी से निराश होकर खेती में हाथ आजमाए और अब सफलता के नए आयाम गढ़ रहे हैं. यह कहानी है अरुणाचल प्रदेश के किसान डोपे पाडू की जिन्होंने इंजीनियरिंग की खेती छोड़कर खेती जैसा साहसिक कदम उठाया. पाडू हमेशा उद्यमी बनने का सपना देखते आए थे और उन्होंने डेयरी फार्मिंग जैसा साहसिक कदम उठाया. पाडू ने डेयरी फार्म स्थापित किया और आज उनकी एक अलग पहचान है.
हर घर में जाना पहचाना नाम
आज पाडू ‘गोयम डेयरी फार्म’ अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम सियांग जिले में घर-घर में पहचाना जाने लगा है. आज उनका यह डेयरी फार्म सफलता की एक मिसाल बन गया है. डार्का गांव के रहने वाले 32 वर्षीय डोपे पाडू ने अरुणाचल प्रदेश पुलिस हाउसिंग एंड वेलफेयर कॉरपोरेशन में साइट इंजीनियर की नौकरी छोड़ने का साहसिक फैसला लिया. इस नौकरी में उन्हें मासिक वेतन 12,000 रुपये मिलता था, लेकिन इसके लिए उन्हें पूरे राज्य में लगातार यात्रा करनी पड़ती थी.
क्यों लिया डेयरी फार्मिंग का फैसला
पाडू के मुताबिक जीवन सुरक्षित नहीं था और नौकरी में बहुत ज्यादा यात्राएं करनी पड़ती थीं. उन्हें तिरप, चांगलांग, लोंगडिंग, तेजू और अनिनी जैसे दूर-दराज जगहों पर जाना पड़ता था. उनका विभाग यात्रा के लिए खर्च नहीं देता था न ही कोई यात्रा भत्ता या महंगाई भत्ता मिलता था. इस स्थिति के कारण, वह महीने के अंत में 1,000 रुपये भी नहीं बचा पाते थे. इससे उनका भविष्य असुरक्षित लगने लगा. इसी असंतोष ने उन्हें उद्यमशीलता की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने डेयरी फार्मिंग में कदम रखने का फैसला किया.
दिसंबर 2021 में हुई शुरुआत
वित्तीय बाधाओं और करियर में स्थिरता की कमी से निराश होकर, डोपे पाडू ने एक बड़ा जोखिम उठाने और डेयरी बिजनेस में कदम रखने का साहसिक निर्णय लिया. उनका कहना है कि उन्होंने कहा कि चूंकि मेरा जीवन वहीं रुका हुआ था, इसलिए मैंने डेयरी व्यवसाय शुरू करने का फैसला किया. अपने बड़े भाई से वित्तीय सहायता लेकर पाडू ने दिसंबर 2021 में अपनी उद्यमशीलता यात्रा की शुरुआत की. उनका शुरुआती निवेश गायों की खरीद और शेड निर्माण में चला गया.
सात लोगों को दिया रोजगार
आज, उनके फार्म में जर्सी, एचसीएफ और साहीवाल नस्लों की 30 गायें हैं, जिन्हें हरियाणा, राजस्थान और अन्य राज्यों से मंगाया गया है. पाडू अपनी गायों को उच्च गुणवत्ता वाला डेयरी राशन, मवेशी चारा बोबिनो और चापोर खिलाते हैं. इसे वह असम के सिलापाथर, डिब्रूगढ़ और तिनसुकिया से खरीदता हूं. उनका समर्पण और मेहनत आज उनके डेयरी फार्म को एक सफल व्यवसाय में बदल रही है. अपने खेत के प्रबंधन और दूध वितरण को सुचारू रूप से चलाने के लिए, डोपे पाडू ने एक डिलीवरी बॉय सहित सात मजदूरों को काम पर रखा है.
हर दिन 100 लीटर उत्पादन
‘आलो के दूधवाले’ (Alo Ke Doodhwala) के नाम से मशहूर पाडू सुबह के समय पूरे आलो कस्बे में और दोपहर के समय रामकृष्ण मिशन स्कूल, काबू, सिपु पुई और दार्का गांवों में दूध की आपूर्ति करते हैं. अधिकतम उत्पादन के समय, उनके फार्म में प्रतिदिन 100 लीटर से अधिक दूध का उत्पादन होता है. हालांकि, हाल ही में कई गायों के बछड़े होने के कारण वर्तमान उत्पादन घटकर 60-70 लीटर प्रतिदिन रह गया है. बावजूद इसके, उनकी मेहनत और व्यवसायिक रणनीति ने उन्हें एक सफल डेयरी उद्यमी बना दिया है.