परंपरागत खेती से हटकर अगर सही तकनीक और मेहनत के साथ खेती की जाए, तो यह भी एक सफल व्यवसाय बन सकता है. इस बात को सच कर दिखाया है छत्तीसगढ़ जशपुर जिले के प्रगतिशील किसान मोतीलाल बंजारा ने. कभी धान, मूंगफली और दालों की खेती करने वाले मोतीलाल अब फूलों की खेती से सालाना 18 लाख रुपये कमा रहे हैं. अब वह अपने क्षेत्र के कई किसानों को इस दिशा में प्रेरित कर रहे हैं.
कैसे हुई फूलों की खेती की शुरुआत?
मोतीलाल पहले पारंपरिक खेती करते थे, लेकिन इसमें ज्यादा मुनाफा न होने के कारण उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) से खेती के आधुनिक तरीकों के बारे में जानकारी ली और वहीं से उन्हें फूलों की खेती करने का विचार आया. साल 2014 में उन्होंने त्योहारों के दौरान गेंदा के फूल की खेती की और धीरे-धीरे इस क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल की.
मोतीलाल के परिवार में खेती की परंपरा लंबे समय से चली आ रही थी. उनके दादा और पिता धान, मूंगफली और दालें उगाते थे, लेकिन यह केवल परिवार की जरूरतों को पूरा करने तक सीमित था. मोतीलाल ने जब खेती को एक व्यवसाय के रूप में अपनाने का फैसला किया, तब उन्होंने इसकी बारीकियों को समझने के लिए ट्रेनिंग ली और फूलों की खेती की.
सालभर फूलों की खेती से बढ़ी आमदनी
शुरुआती दिनों में मोतीलाल ने केवल दीपावली और गणेश चतुर्थी जैसे त्योहारों के लिए फूल उगाने पर ध्यान दिया, लेकिन यह केवल मौसमी आमदनी तक सीमित था. चार साल तक उन्होंने खेती के इस क्षेत्र को गहराई से समझा और फिर 2018 में ड्रिप सिंचाई और मल्चिंग जैसी आधुनिक तकनीकों को अपनाया, जिससे उनकी खेती की उत्पादकता और गुणवत्ता में जबरदस्त सुधार हुआ.
आज मोतीलाल पूरे साल गेंदा फूल और ग्लेडियोलस उगा रहे हैं. त्योहारों के दौरान उनकी मांग काफी बढ़ जाती है और वे एक एकड़ से 15 दिनों में करीब 3 लाख रुपये तक कमा लेते हैं. चूंकि फूलों की फसल चार से पांच महीने में तैयार हो जाती है, इसलिए वह साल में तीन से चार बार फसल ले सकते हैं, जिससे उनकी आमदनी लगातार बनी रहती है.
बाजार में सफलता और खेती का सही तरीका
फसल की उच्च गुणवत्ता के कारण उनकी मार्केट में अच्छी पकड़ है. वह थोक व्यापारियों को फूल बेचते हैं, लेकिन त्योहारों के दौरान सीधे रिटेलर्स से संपर्क कर ज्यादा मुनाफा कमाते हैं. उनके सबसे ज्यादा बिकने वाले फूलों में गेंदा का फूल शामिल है, जिसकी बाजार में काफी मांग रहती है. वह बताते है कि फसल की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए नियमित रूप से मिट्टी की जांच करवाते हैं. इससे उन्हें यह पता चलता है कि मिट्टी में कौन-कौन से पोषक तत्व मौजूद हैं और किनकी कमी है, जिससे वे बैलन्स फर्टिलाइजर्स का प्रयोग कर पाते हैं. यह तकनीक उनकी फसल की गुणवत्ता और उत्पादन बढ़ाने में मदद करता है.
तीन एकड़ में जैविक खेती का विस्तार
आज के समय में मोतीलाल तीन एकड़ भूमि पर फूलों की खेती कर रहे हैं और जैविक खेती को भी बढ़ावा दे रहे हैं. वह केमिकल कीटनाशकों की जगह जैविक कीटनाशकों का उपयोग कर रहे हैं, जिससे उनकी फसल प्राकृतिक और बेहतर गुणवत्ता वाली होती हैं.
इसके अलावा, वह जल संरक्षण के लिए ड्रिप सिंचाई प्रणाली का भी उपयोग कर रहे हैं, जिससे पानी की बचत भी हो रही है. इसके साथ ही बता दें कि उनके पास एक छोटा किचन गार्डन भी है, जिसमें वे भिंडी, टमाटर और मिर्च जैसी सब्जियां उगाते हैं. इससे उन्हें सालाना 10,000-15,000 रुपये की अतिरिक्त आय भी हो जाती है.
बाकी किसानों के लिए बने प्रेरणा
मोतीलाल अब अपनी खेती को और विस्तार देना चाहते हैं और नई फूलों की किस्मों की खेती करने की योजना बना रहे हैं. वे अपने आसपास के किसानों को भी फूलों की खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं। कई किसान उनसे खेती के गुर सीख रहे हैं और खुद भी फूलों की खेती शुरू कर रहे हैं. उन्होंने यह साबित कर दिया है कि अगर खेती को एक व्यवसायिक नजरिए से किया जाए और इसमें नई तकनीकों का उपयोग किया जाए, तो यह भी एक मुनाफेदार पेशा बन सकता है. उनकी सफलता की कहानी देशभर के किसानों के लिए एक प्रेरणा बन चुकी है, जो खेती से अच्छी आमदनी कमाने का सपना देख रहे हैं.