मेघालय के रेमंड बी. मार्वेन ने कैसे मशरूम उत्पादन से दूर की बेरोजगारी

रेमंड बी. मार्वेन जो मेघालय के री-भोई जिले के उम्समु गांव के रहने वाले हैं, आज मशरूम की खेती से एक सफल किसान बन गए हैं. रेमंड ने आईसीएआर में अच्‍छी क्‍वालिटी के स्पॉन की सप्‍लाई में कमी देखी जो मशरूम के लिए जरूरी हैं.

Noida | Published: 17 Mar, 2025 | 03:01 PM

ऑयस्‍टर मशरूम को उनके हेल्‍थ बेनिफिट्स की वजह से काफी अनमोल माना जाता है. अब यह मशरूम धीरे-धीरे काफी लोकप्रिय हो रहे हैं. मेघालय के किसान रेमंड बी मार्वेन तो हमेशा इन मशरूमों को अपनी प्राथमिकताओं में पहले नंबर पर रखते हैं. रेमंड मेघालय के एक ऐसे किसान हैं जो कभी बेरोजगार थे लेकिन मशरूम की खेती से अब अच्‍छी-खासी आजिविका कमाने लगे हैं. उनकी कोशिशों के चलते वह अब मेघालय के बाकी किसानों की प्रेरणा स्‍त्रोत बन गए हैं.

कैसे लिया मशरूम की खेती का फैसला

ऑयस्‍टर मशरूम, मेघालय में कम मेहनत, स्‍थान और निवेश जरूरतों की वजह से तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं. हालांकि, टिकाऊ मशरूम की खेती के लिए जरूरी क्‍वालिटीज वाले स्पॉन (बीज) की उपलब्धता एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. रेमंड बी. मार्वेन जो मेघालय के री-भोई जिले के उम्समु गांव के रहने वाले हैं, आज इसी मशरूम की खेती से एक सफल किसान बन गए हैं. उनके पास एम. फार्म की डिग्री है लेकिन वह बेरोजगार थे. उमियम में आईसीएआर रिसर्च कॉम्‍प्‍लेक्‍स की अपनी विजिट से रेमंड इतने प्रेरित हुए कि उन्‍होंने मशरूम की खेती का फैसला कर लिया.

रेमंड को मिली 7 दिनों की ट्रेनिंग

जब रेमंड आईसीएआर गए तो उन्होंने यहां पर गुणवत्ता वाले स्पॉन की सप्‍लाई में कमी देखी. फिर उन्‍होंने स्पॉन उत्पादन तकनीकों को सीखकर इसे दूर करने की ठान ली. रेमंड ने आईसीएआर के फार्मर्स फर्स्ट प्रोजेक्‍ट के तहत ‘मशरूम स्पॉन प्रोडक्‍शन एंड एंटरप्रेन्‍योरशिप डेवलपमेंट’ पर सात दिनों तक चली ट्रेनिंग को पूरा किया. इस ट्रेनिंग के तहत उन्‍हें टिश्‍यू कल्‍चर, सब्सट्रेट डेवलपमेंट और स्पॉन प्रोडक्‍शन में सैद्धांतिक और व्यावहारिक दोनों तरह के बारे में बताया गया.

शुरुआत में आईं कुछ म‍ुश्किलें

इस ट्रेनिंग कार्यक्रम के तहत कम लागत वाली विधियों पर जोर दिया गया. इसका उपयोग उन्होंने अपने गांव में मशरूम स्पॉन लैब स्थापित करने के लिए किया. इसमें दो छोटे कमरों को कार्यात्मक स्थानों में तब्‍दील किया गया. लागत कम करने के लिए, उन्होंने स्टरलाइजेशन के लिए प्रेशर कुकर और एक साधारण इनोक्यूलेशन हुड जैसे बुनियादी उपकरणों का उपयोग किया. 500 मिली कल्चर मीडिया से शुरुआत करते हुए, रेमंड को शुरुआती चुनौतियों का सामना करना पड़ा. लेकिन उनकी दृढ़ता ने उन्हें सफलता दिलाई.

रेमंड को मिली सफलता

उन्‍होंने 91.3 फीसदी सफलता दर के साथ 23 मदर स्पॉन पैकेट का उत्पादन किया. इसके बाद 230 कमर्शियल स्पॉन पैकेट का उनका पहला बैच तैयार हुआ. आज, रेमंड हर हफ्ते 500 पैकेट कमर्शियल स्पॉन का उत्पादन करते हैं. यह उनके स्थानीय क्षेत्र में 100 रुपये प्रति किलोग्राम की स्थिर मांग को पूरा करता है. स्पॉन उत्पादन के साथ-साथ, वह टिशू कल्चर और अपने होमस्टे व्यवसाय के लिए ताजे मशरूम भी उगाते हैं. रेमंड ने अपने बिजनेस में 90,000 रुपये इनवेस्‍ट किए थे जिसमें बुनियादी ढांचे और लेबर कॉस्‍ट भी शामिल है. स्पॉन और मशरूम की बिक्री से हर महीने वह 40,000 रुपये कमा रहे हैं.

अब क्‍या है अगला लक्ष्‍य

अब उनका लक्ष्य उन्‍नत उपकरणों के साथ विस्तार करना और उम्समू को मशरूम उत्पादन केंद्र में बदलना है जिससे स्थानीय रोजगार पैदा हो. उनकी सफलता ने उनके परिवार की जमीन पर सुअर पालन, मछली पालन, वर्मीकंपोस्टिंग और सब्‍जी की खेती के साथ एक इंटीग्रेटेड एग्री सिस्‍टम को भी जन्म दिया है. उनके उद्यमों ने, उनके होमस्टे के साथ, स्थायी आय उत्पन्‍न की है और उनके समुदाय के बाकी लोगों को कृषि और इससे जुड़े क्षेत्रों का पता लगाने के लिए प्रेरित किया है.