आज हम आपको एक ऐसे किसान की कहानी बताने जा रहे हैं जिसने फसलों में कई तरह की कमियों के बाद भी उनका साथ नहीं छोड़ा. आज अपनी मेहनत के दम पर वह लाखों रुपये कमा रहे हैं. यह कहानी है तेलंगाना के विकाराबाद जिले के गिंगुरथी गांव के किसान एम तिरुपति रेड्डी की. उनके पास 6 एकड़ उपजाऊ जमीन है, जिस पर वे कई सालों से गोभी की फसल के साथ-साथ सभी तरह की सब्जियां उगाते आ रहे हैं. लेकिन फिर अपने इलाके में प्याज की मांग को देखते हुए उन्होंने 4 एकड़ जमीन पर प्याज की खेती भी शुरू की.
फसल को हुआ कौन सा रोग
तेलंगाना राज्य के विकाराबाद जिले में प्याज प्राथमिक फसलों में से एक है. करीब 1000 एकड़ भूमि पर प्याज उगाया जाता है. लेकिन तिरुपति रेड्डी के खेत में खुराक के उपयोग के बारे में जानकारी की कमी और कम्युनिकेशन की वजह से प्याज की फसल के पत्ते मुड़ गए और यह रोग से ग्रसित हो गया. इस वजह से ज्यादातर फसल काली और सड़ी हुई नजर आने लगी. फसल मुख्य तौर पर ब्लाइट रोग और थ्रिप्स के हमले से प्रभावित थी.
कहां से मिली मदद
कीटनाशकों और पानी का दुरुपयोग, रासायनिक उर्वरकों का गलत उपयोग, साथ ही ज्ञान और कौशल में कमी की वजह से खेत में गंभीर समस्याएं पैदा हो गईं. किसान तिरुपति रेड्डी ने इस समस्या का समाधान तलाशा. उन्होंने कृषि सेवा केंद्र से संपर्क किया. इसके बाद कृषि वैज्ञानिकों ने व्यक्तिगत तौर पर उनके खेत की स्थिति का जायजा लिया. साथ ही उन्हें सर्वश्रेष्ठ कृषि सलाहकार से उन्हें मदद मिली. सलाहकार ने उन्हें सबसे अच्छा समाधान, उर्वरक और सही खुराक के बारे में जानकारी दी.
अब उगा रहे ज्यादा फसल
अंत में उन्हें करीब 110-120 क्विंटल प्रति एकड़ उपज मिली. आज तिरुपति रेड्डी अपने पड़ोसी किसानों की तुलना में 20 फीसदी ज्यादा फसल हासिल कर रहे हैं अब वह हर तरह की टेक्निक को सही जानकार प्याज की खेती कर रहे हैं और हर साल लाखों रुपये कमा रहे हैं. कृषि सेवा केंद्र की तरफ से कृषि में किसानों को बेस्ट से बेस्ट टेक्नोलॉजी के बारे में बताकर उन्हें जरूरत के आधार पर मशीन और बाकी जरूरी चीजों पर जोर दिया जाता है.