कैसे मक्‍के की खेती में कामयाबी हासिल कर गुरदासपुर की महिला किसान ने रचा इतिहास 

मीना कुमारी पंजाब के गुरदासपुर में आने वाले गांव झंडी की रहने वाली हैं. किसान मीना कुमारी ने उच्च गुणवत्ता वाले बीजों की बदौलत प्रति एकड़ 20 क्विंटल उत्पादन किया है.

Agra | Published: 22 Mar, 2025 | 06:01 PM

मक्‍के की खेती आजकल किसानों के बीच काफी लोकप्रिय हो रही है. किसान मक्‍के की खेती करके ज्‍यादा से ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं. ऐसी ही एक किसान हैं पंजाब की मीना कुमारी जिन्‍होंने 20 क्विंटल मक्‍के के उत्‍पादन से सबको हैरान कर दिया है. गौरतलब है कि मक्का की खेती के लिए प्रति किसानों का रुझान तेजी से बढ़ रहा है. कई वजहों से अब किसान इसकी खेती के लिए आगे आ रहे हैं. मीना कुमारी ने भी इसके फायदों को समझा और इसमें सफलता हासिल की. जानिए क्‍या है उनकी सक्‍सेस स्‍टोरी और कैसे वह मक्‍के की खेती करके बाकी किसानों को भी एक नया रास्‍ता दिखा रही हैं. 

मक्‍के का ज्‍यादा उत्‍पादन 

मीना कुमारी पंजाब के गुरदासपुर में आने वाले गांव झंडी की रहने वाली हैं. किसान मीना कुमारी ने उच्च गुणवत्ता वाले बीजों की बदौलत प्रति एकड़ 20 क्विंटल उत्पादन किया है.  इस क्षेत्र के बाकी किसान जिन्होंने देसी किस्मों का प्रयोग किया, वो प्रति एकड़ सिर्फ 12 से 14 क्विंटल उत्पादन ही कर सके. उन्‍नत बीजों और स्थानीय किस्मों के उत्पादन में अंतर भी साफ नजर आता है. उच्च गुणवत्ता वाले बीजों की उपलब्धता के बावजूद, गुरदासपुर के किसान पारंपरिक रूप से मक्का उगाने के लिए देसी बीजों पर ही निर्भर रहते हैं. 

हाई क्‍वालिटी वाले बीज 

जॉब्‍स न्‍यूज पोर्टल की एक‍ रिपोर्ट के अनुसार मीना कुमारी जब तक पारंपरिक बीजों पर निर्भर थीं, उन्‍हें खेती से उन्हें ज्‍यादा मुनाफा नहीं हो पा रहा था. इस बीच भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान (IIMR) ने साल 2024 के खरीफ मौसम के दौरान उच्‍च क्वालिटी वाले बीजों का वितरण किया. ये बीज ‘इथेनॉल उद्योगों के जलग्रहण क्षेत्र में मक्का उत्पादन में वृद्धि’ के टाइटल वाले रिसर्च के तहत किया गया था. इस परियोजना के परिणामस्वरूप मक्का की खेती में काफी बदलाव आया. मीना कुमारी को बेहतर बीजों को अपनाने से काफी फयदा हुआ. 

क्‍या था प्रोजेक्‍ट का मकसद 

डॉ. हनुमान सहाय जाट, जो IIMR (Indian Institute of Maize Research) के निदेशक हैं, ने मीना कुमारी की सफलता के बारे में विस्‍तार से जानकारी दी. उन्‍होंने बताया कि उन्हें इस प्रोजेक्‍ट के तहत कई महत्वपूर्ण संसाधन और जानकारी प्रदान की गई. यह जानकारियां उनकी मक्का की खेती में सुधार लाने में मददगार साबित हुई. इस प्रोजेक्‍ट का मकसद किसानों को खेती की एडवांस्‍ड टेक्‍नोलॉजी से रूबरू कराना और उन्हें सही संसाधन प्रदान करना था, ताकि उनकी उत्पादकता और मुनाफा बढ़ सके. 

मीना को दिए गए पायनिर बीज

मीना को 16 किलोग्राम पायनियर मक्का के बीज दिए गए. पायनियर जैसी उन्नत मक्का की किस्मों से अधिक उत्पादन मिलने की संभावना रहती है. ये किस्में बेहतर रोग प्रतिरोधक क्षमता और उच्च गुणवत्ता वाली होती हैं. उन्हें जो इनपुट पैकेज मिला उसमें टाइनजर, एट्राजीन और कोराजेन जैसे उन्‍नत कीटनाशक शामिल थे. इन्‍होंने मक्का की फसल को कीटों और रोगों से बचाने में मदद की. इसके अलावा मीना कुमारी को परियोजना के वैज्ञानिकों की तरफ से खेती की नई तकनीकों को अपनाने पर जोर दिया गया. इनमें सिंचाई प्रबंधन, इंटीग्रेटेड कीट नियंत्रण (Integrated Pest Management – IPM) और उचित अंतराल पर खेती जैसी महत्वपूर्ण बातें शामिल थीं.  ये तकनीकें किसानों को प्राकृतिक संसाधनों का सही उपयोग करने और लागत कम करने में मदद करती हैं. 

बाकी किसानों के लिए प्रेरणा 

एसएल जाट, जो प्रोजेक्ट से जुड़े वरिष्ठ मक्का वैज्ञानिक हैं, ने मीना कुमारी की सफलता को और विस्तार से साझा किया. उन्‍होंने बताया कि मीना कुमारी ने दो एकड़ के खेत में बीजों की बुवाई की, जो उनके पिछले अनुभवों से बहुत अलग था, क्योंकि वे पहले स्थानीय किस्मों का उपयोग करती थीं. इस प्रोजेक्ट के तहत, मीना कुमारी के खेत को दूसरे किसानों के लिए एक मॉडल के तौर पर पेश किया गया. मीना कुमारी के प्रयास वास्तव में परिवर्तनकारी थे और उन्होंने अपने क्षेत्र के अन्य किसानों के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत किया. मीना कुमारी ने इस समूह के जरिए अपनी सफलता की कहानी को साझा किया और बाकी किसानों को भी नई तकनीकों को अपनाने के लिए प्रेरित किया. 

कितना हुआ आर्थिक फायदा 

मीना कुमारी की सफलता ने उनके लिए न सिर्फ आर्थिक फायदा हासिल किया बल्कि उन्होंने अपने अनुभव से पड़ोसी किसानों को भी प्रेरित किया. जब मीना कुमारी ने हाई क्‍वालिटी वाले मक्का बीजों से बढ़ी हुई उपज राणा शुगर लिमिटेड को बेची, तो उन्हें 1,35,000 रुपये की कमाई हुई. यह पिछले सीजन की तुलना में बहुत ज्यादा थी. साथ ही उन्‍हें होने वाले फायदे से साफ था कि उन्‍नत  बीजों और सही कृषि तकनीकों का प्रयोग करके उत्पादन और मुनाफा दोनों में वृद्धि हो सकती है.