जहां देश भर के शहर इस हरियाली के संकट से जूझ रहे हैं, वहीं बीकानेर जैसे शुष्क और मरुस्थलीय क्षेत्र में एक शख्स ने न केवल हरियाली उगाई है, बल्कि जलवायु-स्थायित्व का एक जीवंत मॉडल भी प्रस्तुत किया है.
बुंदेलखंड के बांदा में रामबाबू तिवारी और ग्रामीणों ने सूखे तालाबों को जिंदा कर 500 बीघा जमीन पर मेड़बंदी की, खेतों में नमी और हरियाली लौटाई. तालाब महोत्सव और पानी चौपाल जैसे शानदार प्रयास जल संरक्षण को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहे हैं.
उत्तर प्रदेश में बांदा के सफल किसान प्रेम सिंह अब अपनी खेती की तकनीक को इजराइल जैसे देशों के किसानों को सिखा रहे हैं. उनकी देसी कृषि पद्धतियों ने न केवल भारत में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ध्यान आकर्षित किया है.
गुलमोहर ईको रिसॉर्ट, जो अब जैविक खाना, ग्रामीण अनुभव और बुंदेली संस्कृति के कारण देशभर के सैलानियों को आकर्षित कर रहा है.
जहां हिमाचल और कश्मीर की वादियां सेब के लिए जानी जाती हैं, वहीं संतोष खेदड़ ने 48 डिग्री तक पहुंचने वाले तापमान में HRMN-99 किस्म के सेब उगाकर सभी को चौंका दिया.
अंशुल मिश्रा ने इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी करने के बाद खेती को अपनाया है. वे ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं, जिससे वह सालाना 30 लाख रुपये कमा रहे हैं. उनकी इस सफलता ने उन्हें 'सेलिब्रिटी किसान बना दिया है.