उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने गोवंश संरक्षण को लेकर एक अहम फैसला लिया है. सरकार ने गायों के चारे के लिए रोजाना दी जाने वाली सहायता राशि को 30 रुपये से बढ़ाकर 50 रुपये कर दिया है. इस फैसले की घोषणा पिछले दिनों हुई योगी सरकार की कैबिनेट मीटिंग के बाद की गई. यह मीटिंग महाकुंभ के मौके पर पशुधन एवं दुग्ध विकास विभाग की तरफ से बुलाई गई मीटिंग के बाद हुई थी. यूपी सरकार के अनुसार गौवंश संरक्षण उसकी पहली प्राथमिकता है और इसके तहत ही यह फैसला लिया गया है.
लावारिस गायों के लिए फैसला
यूपी सरकार ने इसी कड़ी में 7,713 गो आश्रय स्थलों में अब तक 12,43,623 निराश्रित गोवंशों को आश्रय प्रदान किया गया है. इसके साथ ही, मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के तहत 1,05,139 लाभार्थियों को 1,62,625 लावारिस गोवंश सुपुर्द किए गए हैं. इस योजना के तहत हर लाभार्थी को प्रति माह 1,500 रुपये की आर्थिक सहायता भी प्रदान की जा रही है. माना जा रहा है कि योगी सरकार के इन प्रयासों से प्रदेश में गोवंश संरक्षण को मजबूती मिलेगी और लावारिस गायों को बेहतर देखभाल और पोषण प्राप्त होगा.
चलाए गए विशेष अभियान
मीटिंग में जानकारी दी गई कि मकर संक्रांति के मौके पर विशेष अभियान चलाकर कुपोषित परिवारों को ऐसे 1,511 लावारिस गोवंश सुपुर्द किए गए जिनकी पहचान पहले कर ली गई थी. प्रदेश में बड़े गो संरक्षण केंद्रों की यूनिट को बनाने के लिए जरूरी रकम को 120 लाख रुपये से बढ़ाकर 160.12 लाख रुपये कर दिया गया है. इसी के तहत 543 विशाल गो संरक्षण केंद्रों के निर्माण को मंजूरी दी गई. इनमें से 372 केंद्रों का निर्माण कार्य पूरा कर उन्हें सक्रिय कर दिया गया है.
इसके अलावा, जनपदों में चलाए जा रहे गो संवर्धन कोष का प्रयोग कर हाइवे और नेशनल हाइवे के किनारे पालतू पशुओं के लिए रेडियम बेल्ट लगाए जा रहे हैं. इसका मकसद रात के समय सड़क दुर्घटनाओं को रोकना है. साथ ही गो आश्रय स्थलों की निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाने की प्रक्रिया को भी पूरा किया जा रहा है.
हरे चारे के उत्पादन को मिलेगी तेजी
वहीं, राज्य में 9,450 हेक्टेयर गोचर भूमि को गो आश्रय स्थलों से जोड़ा गया है. इसमें से 5,977 हेक्टेयर भूमि की पहचान हरे चारे के उत्पादन के लिए पहचान की गई है. सरकार ने आगामी तीन सालों में 50,000 हेक्टेयर भूमि पर हरा चारा उत्पादन बढ़ाने की योजना बनाई है. इस योजना के तहत जई, बरसीम और नेपियर घास की खेती को प्रोत्साहित किया जाएगा. इससे गोवंश के लिए जरूरी पोषण सुनिश्चित किया जा सकेगा.