गांव का किसान जब गाय पालता है तो उसके दिमाग में तीन सवाल सबसे पहले आते हैं दूध कितना मिलेगा? खर्च कितना होगा? और बीमारी से बचाव कैसा होगा? ऐसे में साहीवाल नस्ल की देसी गाय बिलकुल फिट बैठती है. यह गाय जितनी सीधी दिखती है, उतनी ही दमदार साबित होती है. यह कम चारा खाकर भी ज्यादा दूध देती है, गर्मी और बीमारियों से आसानी से लड़ लेती है और सबसे बड़ी बात ये है कि देसी मिट्टी की परख इसे सबसे अलग बनाती है. यही वजह है कि साहीवाल गाय आज किसानों की पहली पसंद बन चुकी है.
रोजाना देती है 10 से 16 लीटर दूध
साहीवाल गाय रोजाना औसतन 10 से 16 लीटर दूध देती है. यह अपने पूरे एक ब्यांत औसतन 2000 से 2300 लीटर तक दूध देने की क्षमता रखती है. देखा जाए तो बाजार में दूध की कीमत 60 रुपये प्रति लीटर तक है. इस हिसाब से साल में 1,20,000 से 1,32,000 रुपए तक कमाई की जा सकती है. खास बात ये है कि इसके दूध में फैट की मात्रा अच्छी होती है, जो पोषण के लिहाज से बेहतर होता है. देखा जाए विदेशी नस्लों की तुलना में दूध थोड़ा कम, पर खर्च भी बेहद कम है. इसलिए इसका दूध पालक को ज्यादा मुनाफा देता है. बेहतर देखरेख से गाय के दूध उत्पादन की मात्रा को बढ़ाया जा सकता है.
कैसी दिखती है ये गाय?
इस गाय का शरीर गहरा, लंबा और मांसल होता है. जबकि इसकी त्वचा ढीली, चिकनी और चमकदार होती है, जिसकी वजह से इसे ‘लोला’ भी कहा जाता है. इसका सिर छोटा, सींग छोटे, टांगें छोटी और पूंछ पतली होती है. इस नस्ल के बैल की पीठ पर उभरा हुआ कूबड़ होता है. बैल की ऊंचाई करीब 136 सेंटीमीटर और गाय की करीब 120 सेंटीमीटर होती है. साहीवाल गाय का रंग आमतौर पर लाल या गहरा भूरा होता है, किसी- किसी गाय में सफेद धब्बे भी नजर आते हैं.
किसानों को क्या लाभ?
यह गाय गर्मी, परजीवियों और सामान्य बीमारियों को सहने में सक्षम होती है. इसे संभालना आसान होता है और इस पर खर्च भी कम आता है. यही कारण है कि कम लागत में अच्छी आमदनी के लिए यह नस्ल डेयरी व्यवसाय से जुड़े किसानों की पहली पसंद बन गई है.