देश में दूध का कारोबार तेजी से फलफूल रहा है और इसके पीछे जो सबसे बड़ी वजह मानी जा रही है कि वह है केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना राष्ट्रीय गोकुल मिशन (RGM). इस योजना के जरिए न सिर्फ देसी नस्लों की गायों को संरक्षण मिला, बल्कि हजारों किसानों की किस्मत भी संवर गई. पहले जो किसान सीमित संसाधनों के कारण डेयरी व्यवसाय से दूर थे, अब वही किसान लाखों रुपये महीने का दूध बेच रहे हैं. इसमें 13 राज्यों में बने गोकुल ग्रामों की बड़ी भूमिका रही है.
2400 करोड़ रुपये तक का बजट
राष्ट्रीय गोकुल मिशन की शुरुआत 2014 में हुई थी. इसका मुख्य उद्देश्य था देशी नस्ल की गायों और भैंसों को बढ़ावा देना, उनकी देखभाल के लिए आधुनिक व्यवस्था बनाना और दूध उत्पादन को बढ़ाना.सरकार ने शुरुआत में ही इस योजना के लिए 2400 करोड़ रुपये तक का बजट निर्धारित किया था. यह योजना पशुपालन और डेयरी उद्योग को ताकत देने वाली एक लंबी रणनीति का हिस्सा रही है.
दुधारू पशुओं की संख्या 120 मिलियन
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2014-15 में देश में दूध उत्पादन 14.6 करोड़ टन था, जो 2021-22 में बढ़कर 22 करोड़ टन हो गया. यानी सिर्फ 8 साल में 7.4 करोड़ टन से ज्यादा दूध का इजाफा हुआ. यही नहीं, दुधारू पशुओं की संख्या भी 2013-14 में 84 मिलियन से बढ़कर 2021-22 में 120 मिलियन तक पहुंच गई. ये आंकड़े दिखाते हैं कि गोकुल मिशन का असर जमीन पर दिख रहा है.
देशभर में बने गोकुल ग्राम
इस योजना के तहत सरकार ने देश के अलग-अलग राज्यों में ‘गोकुल ग्राम’ बनाए हैं, जहां देसी नस्लों का संरक्षण और संवर्धन किया जाता है. अभी तक 13 राज्यों में कुल 16 गोकुल ग्राम बन चुके हैं. इनमें उत्तर प्रदेश में 3, महाराष्ट्र में 2 और अन्य राज्यों जैसे कर्नाटक, हिमाचल, गुजरात, बिहार, हरियाणा, पंजाब, छत्तीसगढ़ आदि में 1-1 गोकुल ग्राम हैं.