महाराष्ट्र में मछली पालन को मिला ‘कृषि’ का दर्जा, 4.83 लाख परिवारों को होगा फायदा

अब मछुआरे सिर्फ ‘मछुआरे’ नहीं, बल्कि ‘किसान’ भी कहलाएंगे और उन्हें वो सभी सरकारी सुविधाएं मिलेंगी, जो आज तक केवल खेत में अनाज उगाने वाले किसानों को मिलती रही हैं.

नई दिल्ली | Published: 23 Apr, 2025 | 10:09 AM

महाराष्ट्र के लाखों मछुआरों के लिए एक बड़ी राहत और गर्व की खबर आई है. राज्य सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए मत्स्य पालन (Fisheries) को ‘कृषि क्षेत्र’ का दर्जा दे दिया है. बंदरगाह और मत्स्य पालन मंत्री नितेश राणे ने मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक के बाद इस फैसले की घोषणा की.

अब मछुआरे सिर्फ ‘मछुआरे’ नहीं, बल्कि ‘किसान’ भी कहलाएंगे और उन्हें वो सभी सरकारी सुविधाएं मिलेंगी, जो आज तक केवल खेत में अनाज उगाने वाले किसानों को मिलती रही हैं.

मछुआरे भी पाएंगे सब्सिडी और बीमा

इस फैसले के बाद अब राज्य के 4.83 लाख से ज्यादा मछुआरों और मछली पालकों को मछली बीज, चारा, एयर पंप और मछली को ठंडा रखने के लिए स्टोरेज जैसी जरूरी चीजों पर सब्सिडी मिलेगी. इसके साथ ही आइस फैक्ट्रियों और कोल्ड स्टोरेज जैसी सुविधाएं बनाने में भी सरकार आर्थिक मदद करेगी.

मंत्री राणे ने बताया कि अब मछुआरों को बिजली भी कृषि दरों पर मिलेगी और तो और, जैसे किसानों को फसल बीमा योजना मिलती है, उसी तरह मछुआरों को भी ‘मत्स्य बीमा योजना’ का लाभ मिलेगा, जिससे प्राकृतिक आपदा में नुकसान की भरपाई की जा सकेगी.

अब किसान क्रेडिट कार्ड भी मछुआरों के लिए

मछुआरे अब किसान क्रेडिट कार्ड, कम ब्याज पर ऋण और बीमा जैसी सुविधाओं के हकदार होंगे. मंत्री नितेश राणे ने कहा कि यह फैसला ना सिर्फ मछुआरों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगा, बल्कि तटीय और आंतरिक क्षेत्रों में रोजगार के नए रास्ते भी खोलेगा.

यह फैसला सिर्फ सरकारी आंकड़ों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसका सीधा असर उन परिवारों तक पहुंचेगा, जो हर दिन समंदर की लहरों से जूझकर अपने बच्चों की रोटी कमाते हैं. इस फैसले के बाद मछुआरे सिर्फ जरूरतमंद न होकर, अब सरकारी योजनाओं से का लाभ ले सकेंगे.

यह कदम मछली पालन को कृषि के बराबर खड़ा करता है और भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में इसके महत्व को मजबूती से स्थापित करता है.