यह नस्ल पशुपालकों की सूझबूझ और मेहनत से विकसित हुई है. हाल ही में खेरी नस्ल को राज्य की 9वीं भेड़ नस्ल के रूप में मान्यता दी गई है.
पशुओं को बीमारी से बचाने के लिए उन्हें छायादार जगह पर रखना चाहिए, साथ ही पशुओं को नियमित रूप से पर्याप्त मात्रा में पानी देना चाहिए.
बकरी का दूध बढ़ाना है या बच्चे की ग्रोथ, इसके लिए हरा चारा सबसे अहम भूमिका निभाता है. आइये जानते हैं हरे चारे के साथ बकरियों को और क्या खिलाएं ताकि मुनाफा बढ़ सके.
यहां किसी एक बकरी की बात नहीं हो रही है, बल्कि एक नस्ल की बात हो रही है, जिसे पालकर बिहार की एक महिला ने अपनी जिंदगी बेहतर कर ली है. जबकि, करीब 400 परिवार इस नस्ल की बकरी पालकर आर्थिक लाभ कमा रहे हैं.
गर्मियों में हरा चारा पानी की कमी को पूरा करता है और पशुओं को ताजगी देता है. लेकिन बारिश या ठंड के मौसम में, या जब खेतों में अत्यधिक उर्वरकों का इस्तेमाल होता है.
बीते कुछ समय से पशुपालन मुनाफे का कारोबार बन गया है. इसीलिए अब यह किसान तक ही सीमित नहीं रहा है, कारोबारी मोटा पैसा खर्च करके पशुपालन शुरू कर रहे हैं. आइये जानते हैं कुछ जरूरी बातें...