बकरीपालकों के लिए जानलेवा है PPR, इन लक्षणों से करें बीमारी की पहचान

बकरी पालन में जरा सी लापरवाही भारी नुकसान में बदल सकती है. इन दो वायरल बीमारियों के लक्षण वक्त रहते पहचान लिए, तो जान भी बचेगी और कमाई भी.

Noida | Updated On: 6 Apr, 2025 | 04:04 PM

बकरी पालन से किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं. लेकिन बकरियों में बीमारी फैल जाए तो पूरा झुंड खतरे में आ सकता है. देखा जाए तो कई बार एक संक्रमित बकरी से पूरे बाड़े में रोग फैल जाता है, इससे किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ता है. इसलिए जरूरी है कि समय रहते बीमारी के लक्षण पहचाने जाएं. चलिए जानते हैं कि ये रोग कौन-कौन से हैं और इनके क्या-क्या लक्षण होते हैं?

पीपीआर (बकरी प्लेग)

पीपीआर यानी पेस्ट डेस पेटिट्स रूमिनेंट्स (Peste des Petits Ruminants) एक गंभीर संक्रामक रोग है, जो तेजी से बकरियों में फैलता है और महामारी का रूप ले सकता है.अगर झुंड में एक बकरी संक्रमित हो गई तो 90 फीसदी तक चांस है कि अन्य बकरियां इसकी चपेट में आ सकती हैं. हालांकि इस बीमारी में मृत्यु दर का खतरा 50 से 90 फीसदी तक रहता है.

लक्षण क्या है?

  1. इस रोग के होने से बकरियों में तेज बुखार हो जाता है.
  2. इस बिमारी के होने से बकरियों के नाक से पानी और ओठों व जीभ पर छाले पड़ जाते हैं.
  3. काले रंग के दस्त एवं न्यूमोनिया इस रोग के प्रमुख लक्षण हैं.
  4. यह बिमारी हो जाने से बकरी खाना-पीना छोड़ देती, जिससे धीरे-धीरे कमजोर हो जाती है.

बकरी चेचक

बकरियों में चेचक भी एक वायरस से फैलने वाला रोग है. यह बकरियों में किसी भी उम्र में हो सकता है. वहीं देखा जाए तो यह रोग छोटे बच्चों में ज्यादा तेजी से असर करता है. इस रोग के चलते बकरियों की मौत भी हो सकती है.

लक्षण क्या है?

1. इस रोग के होने से कान, होंठ और थूथन पर फुंसियां या चकत्ते दिखने लगते हैं.
2. इस बिमारी के होने से उनके आंख, नाक और मुंह से पानी बहता है.
3. जब यह रोग होता है तो बकरियों के शरीर पर दाने, फोड़े या चेचक जैसे चकत्ते होना आम बात है.
4. यह संक्रमण इतना घातक होता है कि सांस लेने में दिक्कत तो होती ही है और इसके साथ ही साथ थकावट भी होने लगती है.
5. देखा जाए तो इस रोग के होने से कई बार शरीर के अन्य हिस्सों में भी सूजन और घाव नजर आते हैं.

इन दोनों बीमारियों के लक्षण एक जैसे भी हो सकते हैं, इसलिए किसानों को चाहिए कि किसी भी असामान्य लक्षण को हल्के में न लें और तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें. सही समय पर पहचान ही नुकसान से बचने की पहली सीढ़ी है.

Published: 6 Apr, 2025 | 02:30 PM