PPR टीकाकरण से बचेगी भेड़-बकरियों की जान, बिहार सरकार की मुफ्त योजना शुरू

PPR को आमतौर पर भेड़-बकरियों का प्लेग भी कहा जाता है. यह वायरस मुख्य रूप से संक्रमित पशुओं की लार, नाक के स्राव और दूषित उपकरणों के माध्यम से फैलता है.

Published: 28 Feb, 2025 | 10:30 AM

बिहार में भेड़ और बकरियों को एक खतरनाक बीमारी पेस्ट डेस पेटिट्स रूमिनेंट्स (PPR) से बचाने के लिए सरकार द्वारा मुफ्त टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है. यह बीमारी इतनी घातक होती है कि अगर एक पशु संक्रमित हो जाए, तो पूरा झुंड इसकी चपेट में आ सकता है. समय पर टीकाकरण करवा कर इस घातक बीमारी को रोका जा सकता है. आइए जानते हैं क्या है ये बीमारी और कब तक पशुपालक मुफ्त में अपने भेड़ और बकरियों का टीकाकरण करवा सकते हैं.

PPR बीमारी क्यों है खतरनाक?

PPR को आमतौर पर भेड़-बकरियों का प्लेग भी कहा जाता है. यह वायरस मुख्य रूप से संक्रमित पशुओं की लार, नाक के स्राव और दूषित उपकरणों के माध्यम से फैलता है. बीमारी की शुरुआत होते ही पशु सुस्त पड़ने लगते हैं, उनकी आंखें लाल हो जाती हैं और मुंह, नाक व आंखों से पानी बहने लगता है. यदि समय पर इलाज न मिले, तो यह बीमारी गंभीर संक्रमण और मृत्यु तक का कारण बन सकती है.

बिहार में मुफ्त टीकाकरण अभियान

बिहार सरकार ने 25 फरवरी से राज्यभर में मुफ्त PPR टीकाकरण अभियान शुरू किया है. यह अभियान 11 मार्च तक चलेगा और इसमें वैशाली, कटिहार, दरभंगा और किशनगंज जैसे जिलों से शुरुआत की गई है. इस टीकाकरण से बकरी पालकों को कोई आर्थिक बोझ नहीं उठाना पड़ेगा और उनकी बकरियों को एक गंभीर बीमारी से बचाया जा सकेगा.

PPR बीमारी से कैसे बचाएं अपने पशु?

समय पर टीकाकरण: तीन महीने की उम्र के बाद बकरियों को PPR का टीका लगवाना जरूरी है. इसके बाद तीन साल की उम्र में बूस्टर डोज दी जाती है.

संक्रमित पशु को अलग करें: यदि किसी पशु में PPR के लक्षण दिखें, तो उसे तुरंत बाकी झुंड से अलग कर दें.

पशु को पर्याप्त पानी दें: संक्रमित पशु को खूब पानी और हल्का भोजन दें, ताकि उसकी स्थिति गंभीर न हो.

सफाई का ध्यान रखें: पशुओं के रहने वाले स्थान को स्वच्छ रखें और किसी भी दूषित उपकरण का उपयोग न करें.

नए टीके से होगी दोगुनी सुरक्षा

भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI), बरेली की एक रिसर्च के अनुसार, अब PPR और शीप पॉक्स दोनों का टीका एक ही डोज में लगाया जा सकता है. यह नया टीका भेड़ और बकरियों को इन दोनों खतरनाक बीमारियों से बचाने में कारगर साबित होगा.

PPR से बचाव क्यों है जरूरी?

PPR बीमारी न केवल पशुपालकों के लिए आर्थिक नुकसान का कारण बनती है, बल्कि यह पशुओं के जीवन के लिए भी घातक है. यदि समय पर टीकाकरण न किया जाए, तो बीमारी के कारण पशु भुखमरी, संक्रमण और मौत के शिकार हो सकते हैं.

ऐसे लाभ उठाएं

बिहार सरकार द्वारा चलाए जा रहे इस मुफ्त टीकाकरण अभियान का लाभ उठाकर पशुपालक अपने भेड़-बकरियों को इस गंभीर बीमारी से बचा सकते हैं. अगर आप बकरी पालन करते हैं, तो नजदीकी पशु चिकित्सा केंद्र पर जाकर तुरंत अपने पशुओं का टीकाकरण करवाएं और उन्हें स्वस्थ रखें.