भारत दूध उत्पादन में नंबर वन है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार बीते 10 साल में दूध उत्पादन में 65 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है. लेकिन, पशुपालकों की कमाई बढ़ाने और अच्छी नस्ल को तैयार करने पर सरकार का फोकस है. इसलिए अब ब्राजील के एक खास फार्मूले से दूध उत्पादन को बढ़ाने की तैयारी शुरू हो गई है. इसके लिए ब्राजील की संस्था ‘एसोसिएशन ऑफ जेबू ब्रीडर्स’ (ABCZ) से हाथ मिलाया गया है. भारतीय ब्रीडर्स को ट्रेनिंग भी दी जा रही है.
ब्राजील के फार्मूले से बढ़ेगा उत्पादन
भारत में गाय-भैंस की गिनती तो इतनी है कि कोई मुल्क आसपास भी नहीं ठहरता, मगर प्रति पशु दूध का आंकड़ा देखकर मन थोड़ा सा मायूस होता है. हमारे यहां औसतन एक गाय दिन में 8-10 लीटर दूध देती है, जबकि ब्राजील में यही आंकड़ा औसतन 20-22 लीटर तक पहुंच जाता है. अब इस अंतर को समाप्त करने के लिए ब्राजील की संस्था ‘एसोसिएशन ऑफ जेबू ब्रीडर्स’ (ABCZ) ने हाथ बढ़ाया है.
पशुओं की नस्ल में सुधार होगा
ABCZ संस्था के अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षकके रेकल बोर्गेस ने बताया कि भारत-ब्राजील मिलकर एक जेबू अनुसंधान संस्थान बनाने की जुगत में हैं. इसका मकसद है पशुओं की नस्ल में जेनेटिकली विकास करना है, ताकि दूध की मात्रा तो और बढ़ाया जा सके. ब्राजील में जेबू नस्ल की गायें खूब दूध देती हैं और अब यही तकनीक भारत लाने की तैयारी है. शुरुआती कदम में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड ने ब्राजील के एक चैंपियन बैल की 50 हजार वीर्य खुराक मंगवाई हैं. ये खुराक हमारी देसी गायों के गर्भाधान के लिए इस्तेमाल होगी, ताकि अगली पीढ़ी की गायें दूध की मशीन बन सकें.
ब्राजील से तकनीक सीख रहे ब्रीडर
वैसे, ब्राजील सिर्फ वीर्य खुराक ही नहीं, बल्कि हुनर भी बांट रहा है. भारतीय ब्रीडर अपने कर्मचारियों को ब्राजील की डेयरियों में ट्रेनिंग के लिए भेज रहे हैं. वहां जाकर हमारे लोग सीख रहे हैं कि कैसे जेबू गायों की जेनेटिक शुद्धता बरकरार रखी जाए. ABCZ का दावा है कि उनके पास 70 लाख से ज्यादा पंजीकृत पशुओं का डेटाबेस है, जो दुनिया में सबसे बड़ा है. भ्रूण ट्रांसफर और गर्भाधान जैसी तकनीकों से वो पशुओं की नस्ल को ऐसा तराशते हैं, मानो सोने में सुहागा जोड़ा जाए.