उत्तराखंड के चार सीमावर्ती जिलों के पशुपालकों ने इंडो-तिब्बतन बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) को मांस और मछली की आपूर्ति करके मात्र पांच महीनों में 2.6 करोड़ रुपये की कमाई की है.
मिल्की मिस्ट और मिल्कलेन के बीच साझेदारी से 10,000 से अधिक दूध किसानों को सीधे लाभ मिलेगा और उन्हें हाई प्राइस और पोषण समृद्ध पशु आहार की पहुंच भी पक्की होगी.
मछलीपालकों को सही तरीके से और तकनीक का इस्तेमाल करने से कमाई बढ़ रही है. जबकि, मछलियों की सेहत बेहतर बनाए रखने से उनकी ग्रोथ में इजाफा हो रहा है. यूपी सरकार तकनीक इस्तेमाल पर महिला मछलीपालकों को 60 फीसदी तक सब्सिडी दे रही है.
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में 24 हजार महिलाएं दूध क्रांति की अगुआ बन रही हैं. सृजनी एमपीओ के जरिए 810 गांवों के पशुपालकों को दूध का 10 रुपये प्रति लीटर ज्यादा दाम मिल रहा है.
डेयरी किसानों के लिए ज्यादा दूध देने वाली भैंसों की नस्ल का चुनाव करना अकसर चुनौती बनता रहा है. लेकिन, नीली रावी भैंस ने डेयरी किसानों की इस समस्या को दूर करते हुए उन्हें बंपर दूध की मात्रा देकर आर्थिक रूप से मजबूत बनाया है.
मछली पालन में भी किसानों को मछलियों की देखभाल की जरूरत होती है. लेकिन कई बार किसानों की लापरवाही से मछलियां गंभीर बीमारियों का शिकार हो जाती हैं.