किसी भी जीव के बच्चे की तरह ही, गाय के बछड़ों के जीवन के पहले कुछ हफ्ते बहुत महत्वपूर्ण होते हैं, क्योंकि इस समय उनमें कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जिनमें से एक सबसे आम और गंभीर समस्या दस्त (डायरिया) है. यह समस्या खासकर बछड़ों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है, क्योंकि अगर इस पर समय रहते ध्यान नहीं दिया जाए तो यह बछड़े की मौत का कारण भी बन सकती है.
दस्त के कारण और लक्षण
बछड़ों में दस्त लगने के कई कारण हो सकते हैं. इनमें से एक प्रमुख कारण है उचित समय पर दूध न पिलाना, दूध का ठंडा होना, अधिक दूध देना, रहने की जगह का साफ न होना, या फफूंद लगा चारा खिलाना. इसके अलावा, बछड़ों में दस्त अक्सर एंटरोपैथोजेनिक ई कोलाई नामक बैक्टीरिया के कारण होता है. यह बैक्टीरिया आंत में घाव पैदा करता है, जिससे पाचन प्रक्रिया प्रभावित होती है और खनिज पदार्थ बाहर निकल जाते हैं. साथ ही, कुछ बैक्टीरिया इस दौरान खून की भी हानि कर सकते हैं, जिससे स्थिति और गंभीर हो सकती है.
इसके अलावा, साल्मोनेला, कोरोना वायरस, रोटा वायरस और प्रोटोजोआ जैसे जियार्डिया और क्रिप्टोस्पोरिडियम भी दस्त के सामान्य कारण हो सकते हैं.
कैसे करे पहचान?
दस्त के लक्षणों को पहचानना बेहद जरूरी है. यदि बछड़े की आंखें धंसी हुई हों, तरल पदार्थों का सेवन कम हो, या बछड़ा अधिक लेट रहा हो, तो यह दस्त का संकेत हो सकता है. अगर बछड़ा खुद से खड़ा नहीं हो पा रहा और उसकी त्वचा को खींचने पर वापस लौटने में छह सेकंड से अधिक समय लग रहा है, तो यह गंभीर समस्या हो सकती है. ऐसे में तुरंत पशु चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए.
दस्त से बचाव के उपाय
बछड़ों में दस्त से बचाव के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं. सबसे पहले, गर्भावस्था के अंतिम तीन महीनों में गाय के पोषण का ध्यान रखना चाहिए. इससे बछड़ा स्वस्थ पैदा होता है और उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है. बछड़े को जन्म के दो से छह घंटे के भीतर खीस पिलाना आवश्यक है, ताकि उसे जरूरी पोषण मिल सके.
इसके अलावा, बछड़े को बाहरी तनावों से बचाना जरूरी है, जैसे अधिक ठंड, बारिश, नमी, और प्रदूषण. उचित देखभाल और सही समय पर टीकाकरण से बछड़े को स्वस्थ रखा जा सकता है.
दस्त होने पर तुरंत क्या करें?
यदि बछड़े को दस्त हो जाए, तो सबसे पहले शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी को पूरा करना जरूरी है. इसके लिए आप घर पर ही इलेक्ट्रोलाइट घोल बना सकते हैं. एक लीटर गरम पानी में पांच चम्मच ग्लूकोज, एक चम्मच सोडा बाइकार्बोनेट, और एक चम्मच नमक मिलाएं. यह घोल बछड़े को हर दिन दो से चार लीटर पिलाएं.
साथ ही, नेबलोन आयुर्वेदिक पाउडर का इस्तेमाल भी किया जा सकता है. इसे पानी या चावल के मांड में मिलाकर दिन में दो से तीन बार पिलाएं. अगर स्थिति गंभीर हो, तो हर छह घंटे में यह घोल दें. दस्त के कारण होने वाले आंतरिक परजीवियों से बचने के लिए एल्बेंडाजोल, औक्सीक्लोजानाइड और लेवामिसोल जैसे डीवार्मर्स का इस्तेमाल भी कर सकते हैं. राहत न होने पर बछड़े तो तुरंत डॉक्टर से दिखाएं.