अगर आप भी गाय-भैंस पालकर अपनी कमाई बढ़ाना चाहते हैं तो सरकार की योजनाएं आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकती हैं. पशुपालकों को अब 60,000 रुपये तक की वित्तीय मदद और 90 फीसदी तक की सब्सिडी मिल रही है.
गाय-भैंस की सही देखभाल और संतुलित आहार से दूध का उत्पादन बढ़ सकता है. इससे पशुपालक दही, घी, पनीर बनाकर पशुपालन से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में 24 हजार महिलाएं दूध क्रांति की अगुआ बन रही हैं. सृजनी एमपीओ के जरिए 810 गांवों के पशुपालकों को दूध का 10 रुपये प्रति लीटर ज्यादा दाम मिल रहा है.
डेयरी किसानों के लिए ज्यादा दूध देने वाली भैंसों की नस्ल का चुनाव करना अकसर चुनौती बनता रहा है. लेकिन, नीली रावी भैंस ने डेयरी किसानों की इस समस्या को दूर करते हुए उन्हें बंपर दूध की मात्रा देकर आर्थिक रूप से मजबूत बनाया है.
यह नस्ल पशुपालकों की सूझबूझ और मेहनत से विकसित हुई है. हाल ही में खेरी नस्ल को राज्य की 9वीं भेड़ नस्ल के रूप में मान्यता दी गई है.
गर्मी में हीट स्ट्रेस और डिहाइड्रेशन से बचाने के लिए पशुपालकों को पशुओं की खास देखभाल करनी चाहिए. उन्हें पर्याप्त पानी, छांव और उचित आहार देने से गर्मियों में होने वाली बीमारियों से बचाव किया जा सकता है.