सरकार की इस योजना में गाय पालकों को मिलती है 2 करोड़ रुपये तक की सब्सिडी !

दिसंबर 2014 से गाय और भैंस की देशी नस्लों के विकास और उनके संरक्षण के लिए राष्‍ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम) को लागू किया गया था. योजना को साल 2021 से 2026 तक राष्‍ट्रीय पशुधन विकास योजना के तहत भी जारी रखा गया है.

Noida | Published: 8 Mar, 2025 | 08:38 AM

दो करोड़ रुपये की सब्सिडी, सुनकर आपको भी शायद हैरानी हो रही होगी, लेकिन यह सच है. केंद्र सरकार की एक ऐसी योजना है जिसमें गाय पालकों को दो करोड़ रुपये तक की सब्सिडी मुहैया कराई जाती है. उन्‍हें यह सब्सिडी राष्‍ट्रीय गोकुल मिशन के तहत मिलती है. यह एक ऐसी परियोजना है जिसका मकसद दूध का उत्‍पादन बढ़ाना है. दिसंबर 2014 से इस योजना को संचालित किया जा रहा है.

दिसंबर 2014 में शुरू हुई योजना

दिसंबर 2014 से गाय और भैंस की देशी नस्लों के विकास और उनके संरक्षण के लिए राष्‍ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम) को लागू किया गया था. यह योजना दूध की बढ़ती मांग को पूरा करने और देश के ग्रामीण किसानों के लिए डेयरी व्यवसाय को ज्‍यादा से ज्‍यादा फायदेमंद बनाने के लिए शुरू किया गया था. योजना को साल 2021 से 2026 तक राष्‍ट्रीय पशुधन विकास योजना के तहत भी जारी रखा गया है, जिसका बजट 2400 करोड़ रुपये है.

सरकार का मानना है कि योजना के तहत उत्पादकता में वृद्धि होगी और कार्यक्रम का फायदा भारत के सभी मवेशियों और भैंसों तक पहुंचेगा, खासकर छोटे और सीमांत किसानों तक. साथ ही इस कार्यक्रम से महिलाओं को भी विशेष रूप से फायदा होगा.

कैसे मिलती है सब्सिडी

योजना के सभी घटकों को 100 फीसदी सब्सिडी के आधार पर लागू किया गया है. घटक सब्सिडी के तहत ब्रीड इंप्रूवमेंट फार्म के लिए पूंजीगत लागत का 50 फीसदी तक अधिकतम 2.00 करोड़ रुपये तक उद्यमी को उपलब्ध कराए जाते हैं. उद्यमी को आईवीएफ तकनीक की मदद से बछिया पैदा करानी होगी. परियोजना लागत का बाकी 50 फीसदी लाभार्थी की तरफ से अनुसूचित बैंकों या बाकी वित्तीय संस्थानों से कर्ज हासिल करके प्रबंधित किया जाता है.

योजना के बाकी लक्ष्‍य

योजना के तहत गांव के स्‍तर पर इंटीग्रेटेड देशी पशु केंद्रों की स्थापना
बैल माता फार्मों को मजबूत बनाना
फील्ड परफॉरमेंस रिकॉर्डिंग (एफपीआर) की स्थापना
प्राकृतिक सेवा के लिए रोग मुक्त उच्च आनुवंशिक योग्यता वाले बैलों का वितरण
देशी नस्लों के उत्कृष्ट पशुओं को पालने वाले किसानों को प्रोत्साहन