जब भी महंगी सब्जियों की बात होती है, तो अधिकतर लोगों के दिमाग में केसर, ट्रफल्स जैसे नाम आते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया की सबसे महंगी सब्जी हॉप शूट्स (Hop Shoots) है? दरअसल, हॉप शूट्स की कीमत सब्जी बाजार में 1 लाख से 1.5 लाख रुपये प्रति किलो तक होती है. जानिए कि भारतीय किसानों के लिए इसकी खेती करना कैसे फायदेमंद हो सकता है.
हॉप शूट्स क्या हैं?
हॉप शूट्स, ह्युमुलस लुपुलस (Humulus Lupulus) पौधे की कोमल कोपलें होती हैं. इस पौधे का इस्तेमाल मुख्य रूप से बीयर बनाने में किया जाता है. बीयर में हॉप्स का उपयोग उसके स्वाद और खुशबू को बढ़ाने के लिए होता है. हालांकि, इसके कोमल शूट्स यानी ताजे अंकुर बेहद पौष्टिक और स्वादिष्ट माने जाते हैं.
हॉप शूट्स इतनी महंगी क्यों हैं?
कठिन खेती: हॉप शूट्स की खेती में किसानों को बहुत मेहनत के साथ देखरेख करनी पड़ती है. इस पौधे के अंकुरों को हाथों से बहुत सावधानीपूर्वक तोड़ा जाता है, क्योंकि ये बेहद नाजुक होते हैं.
कम उपज: हॉप शूट्स की खेती से बहुत कम मात्रा में उत्पादन होता है. पूरी मेहनत के बाद भी किसान को बहुत कम फसल मिलती है, जिससे इसकी कीमत बढ़ जाती है.
स्वास्थ्य लाभ: हॉप शूट्स में औषधीय गुण पाए जाते हैं. इनमें एंटीऑक्सीडेंट्स की भरपूर मात्रा होती है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करती है. यह कैंसर और टीबी जैसी बीमारियों के इलाज में भी सहायक मानी जाती है.
भारत में हॉप शूट्स की खेती
भारत में हॉप शूट्स की खेती हाल के वर्षों में लोकप्रिय हुई है. हाल में हिमाचल प्रदेश के कुछ किसानों ने इसकी खेती शुरू की है. हालांकि, इसकी खेती के लिए खास किस्म की जलवायु और मिट्टी की जरूरत होती है, जिससे इसे बड़े स्तर पर उगाना कठिन है.
हॉप शूट्स की खेती कैसे करें?
जलवायु और स्थान का चयन: हॉप शूट्स की खेती विदेशों में सर्दियों के बाद की जाती है, जबकि भारत में यह फसल ठंडे क्षेत्रों में अच्छी होती है. इस फसल के लिए 19 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान उचित माना जाता है.
मिट्टी की आवश्यकताएं: इस फसल के लिए चिकनी दोमट मिट्टी उत्तम मानी जाती है. जिसका का pH स्तर 6 से 7 के बीच होना चाहिए. वहीं नदियों के किनारे की उपजाऊ मिट्टी इसकी खेती के लिए अनुकूल होती है. इसके साथ ही खेतों में पानी की निकासी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए.
खेत की तैयारी और रोपण: रोपाई से पहले खेत में 4 इंच गहरे गड्ढे करें और उनमें जैविक खाद मिलाएं. हॉप के पौधे बेल के रूप में बढ़ते हैं, इसलिए इन्हें सहारा देने की व्यवस्था करें भी करें. ध्यान रहे पौधों को पंक्तियों में लगाएं, ताकि इसकी देखरेख में सुविधा हो.
सिंचाई और प्रकाश व्यवस्था: पौधों की वृद्धि के लिए हल्की और नियमित सिंचाई की जरूरत होती है. इसके साथ ही हर दिन 6 से 8 घंटे की धूप पौधों के लिए जरूरी है.
उर्वरक और खाद: खेत में 25-30 टन गोबर की खाद डालनी चाहिए. इसके अलावा, 100 किलोग्राम नाइट्रोजन, 200 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश, और 250 किलोग्राम सुपर फास्फेट का प्रयोग करना चाहिए.
फूल और फल उत्पादन: रोपाई के 2 से 3 महीनों के भीतर पौधों में फूल आना शुरू हो जाते हैं और कुछ ही हफ्तों में इन फूलों से शंकु आकार के फल निकलने लगते हैं. फल आने के बाद पौधों से अंकुर (शूट्स) तोड़ने के लिए तैयार हो जाते हैं.