वैनिला, नाम सुनते ही आपको आइसक्रीम की याद आ गई होगी. हां, हम उसी वैनिला की खेती की यहां बात करने जा रहे हैं, जिसका इस्तेमाल आइसक्रीम बनाने में भी किया जाता है. यूं तो इससे कई तरह के उत्पाद बनते हैं. लेकिन, यह चर्चा में अपने महंगे बीजों की वजह से रहता है. अच्छी कीमत मिलने के चलते खेती के लिए किसानों के बीच काफी तेजी से लोकप्रिय हो रहा है. इसके बीज का दाम 40 हजार रुपये से लेकर 50 हजार रुपये प्रति किलो तक मिलता है. केंद्र सरकार वैनिला की खेती के लिए किसानों को प्रेरित करने के इरादे से कई योजनाएं भी चला रही है, जिसके तहत उन्हें वित्तीय मदद भी की जाती है. यहां पर जानते हैं कि वैनिला की खेती कैसे और कब की जाती है.
वैनिला (Vanilla planifolia) एक तरह का बेल जैसा पौधा होता है, जो ट्रॉपिकल यानी गर्म और ऊंचाई वाले इलाकों में उगता है. अपनी खुशबू और स्वाद की वजह से इन्हें मसाले के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा वैनिला का इस्तेमाल कई दवाओं, ब्यूटी प्रोडक्ट्स और आईसक्रीम में भी किया जाता है. इसके छोटे आकार के फूल काफी खास होते हैं. वैनिला के फल को ‘बीन’ कहा जाता है, जो एक खास प्रक्रिया से गुजरने के बाद अपनी महक और स्वाद छोड़ता है. इसी वजह से वैनिला एक कीमती मसाला बन जाता है.
किन क्षेत्रों में करें वैनिला की खेती
बीते कुछ साल से भारत में वैनिला की खेती तेजी से बढ़ी है. यह किसानों के लिए एक अच्छा और लाभकारी व्यवसाय बन सकता है. खासकर उन राज्यों में जहां गर्म जलवायु यानी जहां हवा में नमी (पानी की मात्रा) अधिक होती है, जैसे केरल, तमिलनाडु और कर्नाटका. वैनिला की खेती करने से किसानों को एक नई दिशा मिल सकती है, खास कर उन क्षेत्रों में जहां परंपरागत फसलों की पैदावार में कमी आ रही हो.
वैनिला की खेती कैसे करें?
वैनिला को गर्म और हवा में नमी वाली जलवायु की जरूरत होती है. इसे अच्छे सूरज की रोशनी की जरूरत होती है, लेकिन ध्यान रहे की पौधे पर सीधे धूप न पड़े, क्योंकि यह पौधा सीधे धूप में जल सकता है. इसे अगर आप घर में उगा रहे हैं तो ऐसा स्थान चुनें जहां धूप मिले लेकिन बहुत तेज धूप न हो, जैसे की घर के अंदर या बालकनी.
मिट्टी की तैयारी और रोपाई
वैनिला की खेती मिट्टी में नमी होने जरूरी है. इसे अच्छे तरीके से उगाने के लिए आपको अच्छी गुणवत्ता वाली खाद और उपजाऊ मिट्टी की जरूरत पड़ेगी. मिट्टी का pH स्तर 6 से 7 के बीच होना चाहिए. आप इसमें थोड़ा पेड़ की घास या मिट्टी को मिला सकते हैं ताकि वह उपजाऊ और नमी बनाए रखे. वैनिला की खेती में पौधों की कटिंग्स की जरूरत पड़ेगी. कटिंग को मिट्टी में अच्छे से लगाएं और पक्का करें कि कटिंग में कम से कम 2-3 पत्तियां हों. इसके बाद इसे हल्की नमी वाली जगह पर रखें.
पौंधों के लिए ढांचा और सिंचाई
वैनिला एक बेल पौधा है. इसलिए इसे सहारे की जरूरत होती है. ऐसे में आपको एक ट्रेली यानी सहारा देने वाली जाली या लकड़ी का ढांचा तैयार करें . पौधे को सहारे के लिए जाल या बांस के खंभे से बांध सकते हैं ताकि यह ऊंचाई तक बढ़ सके. वहीं, वैनिला को नियमित पानी की जरूरत होती है, लेकिन ध्यान रखें कि पानी जमा न हो. अत्यधिक पानी से जड़ें सड़ सकती हैं. रोजाना हल्का पानी दें और मिट्टी हमेशा हल्की गीली रखे.
फसल कटाई का सही समय
वैनिला के पौधे तीसरे साल से फूलने लगते हैं और फूलों का परागण हाथ से किया जाता है. फसल को तब काटना चाहिए जब फल हरे से पीले रंग में बदलने लगते हैं. वैनिला की फसल 6 से 9 महीने में तैयार हो जाती है. आमतौर पर एक हेक्टेयर में 300 से 600 किलो सूखे फल उगते हैं. वनीला के पौधे लगभग 12 से 14 साल तक अच्छे उत्पादन देते हैं. इसके बीज काफी महंगे बिकते हैं. आमतौर पर बीजों की कीमत 40 से 50 हजार रुपये प्रति किलो मिल जाती है.
सरकारी योजनाएं और अनुदान
वैनिला की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार विभिन्न योजनाएं चला रही है. कृषि मंत्रालय और राज्य सरकारें किसानों को वैनिला की खेती में मदद करने के लिए अनुदान और सब्सिडी प्रदान करती हैं. वैनिला जैसी विशेष फसलों को बढ़ावा देने के लिए कृषि विभाग किसानों को वित्तीय सहायता, बीज और पौधे ट्रेनिंग उपलब्ध कराता है. राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) के तहत किसानों को वैनिला की खेती के लिए वित्तीय सहायता और सब्सिडी दी जाती है. वैनिला की खेती एक पारंपरिक और मूल्यवान खेती मानी जाती है, जिसके लिए राज्य सरकारें अनुदान योजनाएं चला रही हैं. इनमें किसानों को खेतों की तैयारी, उर्वरक, सिंचाई और जड़ी-बूटियों के लिए विशेष सब्सिडी मिलती है. वैनिला जैसी फसलों की जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. इस योजनाओं के तहत किसानों को जैविक खाद और कीट नियंत्रण के उपायों के लिए सहायता दी जाती है.