सबसे मशहूर हैं खीरे की ये चार किस्में, बाजार में इनकी शानदार मांग

खीरा पोषण का बेहतरीन स्रोत है. इसमें मोलिब्डेनम और कई महत्वपूर्ण विटामिन होते हैं, जो त्वचा, किडनी और दिल से जुड़े स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं.

Noida | Updated On: 13 Mar, 2025 | 05:35 PM

खीरा, जिसे वैज्ञानिक रूप से Cucumis sativus कहा जाता है. भारत में उगाई जाने वाली एक महत्वपूर्ण सब्जी है. बेल के रूप में बढ़ने वाला यह पौधा गर्मियों में ताजगी प्रदान करने के लिए खूब खाया जाता है. इसके बीजों से तेल निकाला जाता है, जो शरीर और दिमाग के लिए बेहद लाभकारी होता है.

खीरा पोषण का भी बेहतरीन स्रोत है. इसमें मोलिब्डेनम (Mo) और कई महत्वपूर्ण विटामिन होते हैं, जो त्वचा, किडनी और दिल से जुड़े स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं. इसके साथ ही, इसे एक प्राकृतिक अल्कालाइज़र के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है. आइए जानते हैं खीरे की बेहतरीन किस्मों के बारे में.

पंजाब खीरा – 1 (2018)

यह किस्म विशेष रूप से ग्रीनहाउस (Polynet Houses) में उगाने के लिए बेस्ट है. इसका पौधा तेजी से बढ़ता है और प्रत्येक नोड पर 1-2 फल आते हैं. इसके फूल पार्थेनोकार्पिक होते हैं, यानी बिना परागण के भी फल विकसित हो सकते हैं. इसके फल गहरे हरे रंग के होने के साथ साथ लगभग 13-15 सेमी लंबे होते हैं.

इस किस्म की खेती के लिए अच्छा समय सितंबर और जनवरी है. फसल बोने के 45-60 दिनों बाद इसे तुड़ाई के लिए तैयार किया जा सकता है. सितंबर में बोई गई फसल की पैदावार 304 क्विंटल प्रति एकड़ और जनवरी में बोई गई फसल की उपज 370 क्विंटल प्रति एकड़ तक होती है.

पंजाब नवीन (2008)

इस किस्म की सतह थोड़ी खुरदरी होती है. इसके पत्ते गहरे हरे रंग के होते हैं. इसके फल बेलनाकार, हल्के हरे रंग के होते हैं और जब पूरी तरह पक जाते हैं, तो इनकी सतह मुलायम हो जाती है. यह किस्म कुरकुरी होती है और इसमें कोई कड़वाहट या बीज नहीं होते हैं.

विटामिन C की अधिकता होने के कारण यह स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होती है. यह किस्म केवल 68 दिनों में तैयार हो जाती है. इसका स्वाद, रंग और आकार आकर्षक होता है, जिससे यह बाजार में अधिक मांग में रहती है. इसकी औसत पैदावार 70 क्विंटल प्रति एकड़ है.

पुसा उदय

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) द्वारा विकसित यह किस्म फीके हरे रंग के फलों के साथ आती है. इसके फल लगभग 15 सेंटीमीटर लंबे होते हैं. प्रति एकड़ खेती के लिए 1.45 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है. यह किस्म 50-55 दिनों में तैयार हो जाती है और इसकी औसत पैदावार 65 क्विंटल प्रति एकड़ है.

 

पुसा बरखा

खरीफ मौसम के लिए तैयार की गई इस किस्म में नमी और तापमान सहन करने की अद्भुत क्षमता होती है. साथ ही, यह पत्तों के धब्बे जैसी बीमारियों के प्रति भी सहनशील होती है. इसकी औसत पैदावार 78 क्विंटल प्रति एकड़ है.

Published: 14 Mar, 2025 | 12:00 PM