अप्रैल आते ही गन्ने की फसल पर एक खतरनाक कीट ‘पायरिल्ला’ का हमला शुरू हो जाता है. यह कीट पत्तियों से रस चूसकर फसल को कमजोर कर देता है. इससे न सिर्फ गन्ने की उपज घटती है, बल्कि उसकी गुणवत्ता भी काफी खराब हो जाती है. उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और बिहार जैसे गन्ना उत्पादक राज्यों में यह कीट किसानों के लिए बड़ी चिंता बन गया है. चलिए जानते हैं कि यह कीट गन्ने को कैसे नुकसान पहुंचाता है और इससे फसल को कैसे बचाया जा सकता है?
कैसे करता है नुकसान?
मोदीनगर के गन्ना विकास प्रबंधक राजीव त्यागी के अनुसार पायरिल्ला अप्रैल-मई में अंडे देना शुरू करता है. इसके नवजात शिशु जिन्हें हॉपर कहा जाता है, ये गन्ना के पत्तियों का रस चूसते हैं. इससे पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं और धीरे-धीरे पूरी फसल कमजोर हो जाती है. देखा जाए तो जून-जुलाई में इस कीट की संख्या बढ़ती है और अगस्त से अक्टूबर तक इसका प्रकोप सबसे ज्यादा होता है.
कैसा दिखता है पायरिल्ला कीट?
इस कीट का रंग भूरा होता है, जिसके सिर के आगे चोंच जैसी बनावट और बच्चों के पीछे पूंछ जैसी संरचना होती है. जब यह रस चूसता है तो पत्तियों पर चिपचिपा पदार्थ और काली फफूंद जमा हो जाती है. इससे गन्ने की उपज में लगभग 28 से 50 फीसदी तक की कमी आ सकती है. इसके साथ ही, गन्ने में मिठास (सुक्रोज) और शुद्धता में भी काफी गिरावट आती है.
कीट से कैसे बचाएं फसल?
एक्सपर्ट का कहना है कि पायरिल्ला कीट को रोकने के लिए किसानों को सतर्क रहना जरूरी है. यह कीट सबसे पहले अप्रैल में खेतों में दिखाई देता है. इसे पहचानने के लिए पत्तियों को ध्यान से देखें. अगर कीट दिखे तो संक्रमित पत्तियों को काटकर खेत से बाहर निकाल दें और उन्हें जला दें या जमीन में दबा दें. इसके साथ ही खेत में खरपतवार न बढ़ने दें, क्योंकि ये कीटों के लिए छिपने की जगह बन सकते हैं.
लाइट ट्रैप का इस्तेमाल करें किसान
किसान सुबह-शाम खेतों की निगरानी करें ताकि शुरुआत में ही कीट का पता लग सके. इससे बचने के लिए प्रकाश प्रपंच (लाइट ट्रैप) का इस्तेमाल करें, जिससे वयस्क कीट आकर्षित होकर फंस जाएं और उन्हें नष्ट किया जा सके. इससे फसल को बचाने के साथ-साथ उसकी गुणवत्ता और उपज भी बनी रहेगी. इन आसान उपायों से किसान अपनी गन्ने की फसल को पायरिल्ला कीट से सुरक्षित रख सकते हैं.