गर्मियां बढ़ने के साथ ही आम के पौधों में कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं, जिससे पौधे की वृद्धि, फलन और गुणवत्ता पर असर पड़ता है. समय पर इनकी पहचान और उचित देखभाल से इन बीमारियों को नियंत्रित किया जा सकता है. ऐसी ही एक आम बीमारी है सर्प बर्न, जो आम के पेड़ की पत्तियों को नुकसान पहुंचाती है और पौधे के विकास को बाधित कर सकती है. आइए जानते हैं इस बीमारी के कारण, लक्षण और बचाव के तरीके.
सर्प बर्न रोग के कारण
पेड़ों में सर्प बर्न की समस्या तब आती है जब आम के पेड़ नमक वाले उर्वरक या ज्यादा नमक वाली मिट्टी के संपर्क में आते हैं. अगर पौधों को सही मात्रा में पानी नहीं मिलता या मिट्टी में मैग्नीशियम की कमी होती है, तो यह बीमारी हो सकती है.
सर्प बर्न के लक्षण
- पत्तियों के किनारे जलने लगते हैं और भूरे रंग के हो जाते हैं.
- प्रभावित पत्तियां मुरझा जाती हैं और झुलसी हुई दिखाई देती हैं.
- पेड़ों में प्रकाश सोखने की क्षमता घट जाती है, जिससे पौधों का विकास रुक सकता है.
- जब स्थिति बिगड़ती है, तो पत्तियां समय से पहले गिरने लगती हैं.
सर्प बर्न बीमारी से बचाव
नियमित पानी देना: पेड़ों को समय-समय पर और सही मात्रा में पानी देना जरूरी है ताकि नमक का असर कम हो सके.
नमक का नियंत्रण: मिट्टी में नमक को कम करने के लिए लीचिंग तकनीक अपनाएं. इसमें कम नमक वाले पानी से सिंचाई करके जड़ों के पास जमा नमक को बाहर निकाला जाता है.
नमक सोखने वाले पौधे लगाएं: ऐसे पौधे या रूटस्टॉक्स चुनें, जो नमक को सोख सकें. इससे पेड़ों पर नमक का असर कम होगा.
पानी की जांच: सिंचाई के लिए जो पानी इस्तेमाल हो रहा है, उसकी गुणवत्ता समय-समय पर जांचते रहें ताकि पानी में ज्यादा नमक न हो.
साफ पानी का इस्तेमाल: सिंचाई के लिए बारिश का जमा पानी या साफ पानी इस्तेमाल करें. जल शुद्धिकरण प्रणाली से भी पानी को साफ करके इस्तेमाल किया जा सकता है.