बंजर जमीन पर लौटेगी हरियाली: ISRO और नीति आयोग का बड़ा मास्टर प्लान

इसरो और नीति आयोग की यह साझेदारी सिर्फ बंजर जमीन को हरा-भरा करने का सपना नहीं देख रही, बल्कि इस दिशा में तेजी से काम कर रही है.

Noida | Published: 8 Mar, 2025 | 05:24 PM

अब बंजर जमीन फिर से हरी-भरी हो सकेगी. दरअसल, नीति आयोग और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने मिलकर पूरे देश में कृषि वानिकी को बढ़ावा देने के लिए एक शानदार योजना की शुरुआत की है. इस योजना के तहत इसरो के उपग्रह डेटा का उपयोग करके एक विशेष भुवन-आधारित पोर्टल लॉन्च किया गया है, जो यह बताएगा कि कौन-सी जमीन कृषि वानिकी के लिए सबसे उपयुक्त है.

इस पोर्टल का नाम है ग्रीनिंग एंड रेस्टोरेशन ऑफ वेस्टलैंड विद एग्रोफॉरेस्ट्री (GROW). इस पोर्टल की खासियत यह है कि यह हर किसी के लिए उपलब्ध है – चाहे आप किसान हों, कृषि से जुड़े व्यवसायी, स्टार्टअप, एनजीओ या शोधकर्ता, सभी इस डेटा का लाभ उठा सकते हैं और कृषि वानिकी से जुड़ी पहल में भाग ले सकते हैं.

पोर्टल कैसे करेगा काम?

ISRO के जियोपोर्टल “भुवन” पर उपलब्ध सैटेलाइट डेटा की मदद से कृषि वानिकी उपयुक्तता सूचकांक (ASI) तैयार किया गया है. इसमें बंजर जमीन, भूमि उपयोग, जल स्रोत, मिट्टी में मौजूद कार्बन और जमीन के ढलान जैसी जानकारियों को जोड़ा गया है, ताकि यह पता चल सके कि कौन-सी जमीन पर खेती के साथ पेड़-पौधे लगाए जा सकते हैं.

शुरुआती नतीजे क्या कहते हैं?

शुरुआती जांच में पता चला है कि राजस्थान, मध्य प्रदेश और तेलंगाना कृषि वानिकी के लिए सबसे उपयुक्त राज्य हैं. वहीं, जम्मू-कश्मीर, मणिपुर और नागालैंड भी इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. इसरो के आंकड़ों के अनुसार, भारत की लगभग 6.18% भूमि कृषि वानिकी के लिए बेहद उपयुक्त है. जबकि 4.91% भूमि को मध्यम रूप से उपयुक्त माना गया है.

नीति आयोग का क्या कहना है?

नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद का मानना है कि कृषि वानिकी न सिर्फ भारत को लकड़ी के उत्पादों के आयात पर निर्भरता कम करने में मदद करेगी, बल्कि कार्बन को अवशोषित कर जलवायु परिवर्तन से लड़ने में भी कारगर होगी. इसके साथ ही, यह बंजर और परती भूमि को उपजाऊ बनाकर भूमि के बेहतर उपयोग को बढ़ावा देगी.

कृषि वानिकी के फायदे

पर्यावरण के लिए वरदान: कृषि वानिकी से वातावरण में कार्बन की मात्रा घटती है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग से निपटने में मदद मिलती है. यह मिट्टी के कटाव को रोकने और जल संरक्षण में भी सहायक है.

आर्थिक फायदा: किसान इससे अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं क्योंकि वे लकड़ी, फल, औषधीय पौधे और अन्य वन उत्पाद बेच सकते हैं. यह एक अतिरिक्त कमाई का जरिया बन सकता है.

जैव विविधता का संरक्षण: खेतों में पेड़-पौधे लगाने से जैव विविधता बढ़ती है और यह स्थानीय वन्यजीवों के लिए भी लाभदायक होता है.

रोजगार के नए अवसर: ग्रामीण इलाकों में कृषि वानिकी के जरिए नए रोजगार अवसर मिलते हैं, जिससे स्थानीय लोगों की आमदनी बढ़ती है और उनकी जीवनशैली सुधरती है.

आगे का रास्ता

ISRO और नीति आयोग की यह साझेदारी सिर्फ बंजर जमीन को हरा-भरा करने का सपना नहीं देख रही, बल्कि इसे हकीकत में बदलने की दिशा में तेजी से काम कर रही है. यह पोर्टल उन क्षेत्रों की पहचान करेगा, जहां कृषि वानिकी के ज़रिए न केवल भूमि की उपजाऊ क्षमता बढ़ाई जा सकती है, बल्कि वहां के लोगों की आजीविका भी सुधारी जा सकती है. इस पहल से उम्मीद है कि भारत के सूखे और बंजर इलाकों में हरियाली लौटेगी और सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने में भी मदद मिलेगी.