खेती का खेल सिर्फ बीज बोने और पानी डालने तक नहीं है. असली कहानी तो मिट्टी से शुरू होती है. भारत में मिट्टी कई रंगों और रूपों में मिलती है और हर मिट्टी की अपनी एक अलग पहचान है. ये मिट्टी ही तय करती है कि आपके खेत में क्या लहलहाएगा और क्या मुरझाएगा. आज हम बात करेंगे भारत की 8 प्रमुख मिट्टियों की. ये कौन-कौन सी हैं, इनकी खासियत क्या है, और इनमें कौन सी फसलें सबसे शानदार तरीके से उगती हैं? अगर आप खेती करते हैं, तो ये जानकारी आपके लिए ही है.
काली मिट्टी (Black Soil)
काली मिट्टी, जिसे रेगुर (कपास-मिट्टी) के नाम से भी जाना जाता है. यह महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में पाई जाती है. इस मिट्टी का रंग हल्के काले से गहरे काले रंग तक होता है. इसमें चूना, लौह तत्व और मैग्नीशियम की भरमार होती है, जिससे यह खूब उपजाऊ बनती है. पैदावार की बात करें तो इस मिट्टी में कपास, गन्ना, गेहूं, तिलहन और सूरजमुखी जैसी फसलें उगाई जाती हैं. यह नमी को अच्छे से रोकती है, इसलिए सूखे इलाकों में भी ये फसलें अच्छी होती हैं.
लाल मिट्टी (Red Soil)
लाल मिट्टी की बात करें तो यह राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, बंगाल, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश के कुछ कोनों में बिछी है. इसमें चूना, फॉस्फेट, मैग्नीशियम, नाइट्रोजन, ह्यूमस और पोटाश की थोड़ी कंजूसी है, लेकिन एल्यूमिनियम और लोहा खूब भरा है. यह दालों और मोटे अनाज जैसे ज्वार, बाजरा, मक्का के लिए जैकपॉट है. बनावट में हल्की होने की वजह से पानी को जल्दी सोख लेती है, तो सिंचाई पर नजर रखनी पड़ती है.
मरुस्थलीय और लवणीय मिट्टी (Arid and Saline Soil)
राजस्थान, गुजरात और उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में मरुस्थलीय मिट्टी सूखी होती है और ह्यूमस कम होता है, फिर भी मोटे अनाज यहां उगाए जा सकते हैं. वहीं, लवणीय मिट्टी में नमक ज्यादा होता है, जो पौधों की बढ़त को प्रभावित करता है. लेकिन गेहूं जैसी फसलें नमक सहन कर लेती हैं, इसलिए इस मिट्टी में गेहूं की खेती होती है.
लैटेराइट और दलदली मिट्टी (Laterite and Wetland Soil)
कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, बंगाल और ओडिशा की जमीन पर लैटेराइट मिट्टी फैली है. इसमें लोहा और चूना मिला है, जो इसे फसलों के लिए मुफीद बनाता है. भारत का करीब 3.7 फीसदी हिस्सा इसी मिट्टी से घिरा है. यहां चावल की हरियाली, गेहूं की बालियां, कपास की नरमी और कॉफी की खुशबू खूब जमती है. दूसरी तरफ, दलदली मिट्टी की बात करें तो यह केरल, बंगाल और उत्तराखंड में बिछी है. पानी से तर यह मिट्टी मसूर और चने जैसी दलहनी फसलों को पसंद आती है और यहां इनकी पैदावार शानदार होती है.
पर्वतीय मिट्टी (Mountain Soil)
पर्वतीय मिट्टी भारत की जमीन का करीब 3.7 फीसदी हिस्सा घेरती है. पहाड़ों की गोद में बसी यह मिट्टी अपने आप में खास है. इसमें लोहा और एल्यूमिनियम खूब मिलता है और कार्बनिक तत्वों का तो जैसे खजाना भरा है. यह मिट्टी चाय, कॉफी और मसालों की खेती के लिए दुनिया भर में जानी जाती है. देखा जाए तो पहाड़ी ढलानों पर खेती करना आसान नहीं है, ढलान वाली जमीन मेहनत मांगती है. लेकिन पारंपरिक तरीकों से किसान यहां कमाल कर दिखाते हैं और अच्छी पैदावार लेते हैं.
पीली मिट्टी (Yellow Soil)
केरल जैसे दक्षिणी राज्यों में पीली मिट्टी बिछी है. यह लाल मिट्टी का ही दूसरा रूप है, जो बारिश के पानी से धुलकर पीली हो जाती है. यहां मसालों का जादू चलता है, इलायची की खुशबू और काली मिर्च का स्वाद यहीं से निकलता है.