मखाना, जिसे दुनियाभर में फॉक्स नट, गोरगोन नट या प्रिकली वॉटर लिली के नाम से जाना जाता है. इसकी खेती मुख्य रूप से बिहार में होती है. बिहार दुनिया में मखाने का सबसे बड़ा उत्पादक है और वैश्विक उत्पादन का 90% हिस्सा अकेले इसी राज्य में होता है.
स्वास्थ्यवर्धक और पोषण से भरपूर स्नैक होने की वजह से मखाने की मांग लगातार बढ़ रही है. इस कारण यह किसानों के लिए लाभदायक व्यवसाय बन गया है. यदि आप भी मखाने की खेती करने का विचार बना रहे हैं, तो जानिए स्टेप-बाय-स्टेप पूरी जानकारी.
क्या है मखाना?
दुनियाभर में स्नैक्स के रूप में खाए जाने वाला मखाना निंफेसी परिवार का पौधा है. इसे मुख्य रूप से तालाब, दलदली भूमि और आर्द्रभूमि में उगाया जाता है. इसका पौधा हूबहू कमल की तरह दिखता है, जिसमें तैरते हुए हरे पत्ते और कांटेदार तने होते हैं. एक ही पौधा 80 से 100 मखाना बीज उत्पन्न कर सकता है.
मखाने की खेती?
भारत में मखाना मुख्य रूप से बिहार, पश्चिम बंगाल, मणिपुर, त्रिपुरा, असम, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में उगाया जाता है. बढ़ती मांग के कारण अब किसान इसकी खेती में रुचि दिखा रहे हैं.
कैसे करें मखाना की खेती?
तालाब तैयार करें- मखाना की खेती के लिए सबसे पहले अपने खेत में छोटे तालाब या दलदली भूमि को तैयार करें,तालाब की गहराई 4-6 फीट के बीच होनी चाहिए और फिर इसमें बीज का छिड़काव करें.
नमी का रखें खास ख्याल- यह पानी वाला पौधा होता है, ऐसे में तालाब में पानी हमेशा स्थिर रहना चाहिए. यह पारंपरिक खेती की तुलना में आसान प्रक्रिया है, क्योंकि इसमें रोपाई की जरूरत नहीं होती.
बीज अंकुरण- मखाना की खेती के लिए सबसे अच्छा समय फरवरी से अप्रैल के बीच रहता है, इसमें अंकुरित बीजों को पानी में स्थानांतरित किया जा सकता है.
फसल की कटाई- मखाना की खेती से कठिन इसकी कटाई होती है, क्योंकि बीजों को तालाब के तलों से इकट्ठा करना पड़ता है. इसके लिए कुशल लोग की कर सकते हैं.
बीजों का सुखाना- एकत्र किए गए बीजों को तेज धूप में सुखाया जाता है ताकि नमी 31% तक निकल जाए. फिर इन बीजों को 20-24 दिनों तक रखा जाता है ताकि ये पूरी तरह से सूख जाएं.
ग्रेडिंग और भुंजाई- धूप में सुखाए गए बीजों को उनके आकार के अनुसार पांच से सात ग्रेड में बांटा जाता है. इसके बाद इन्हें मिट्टी या लोहे की कड़ाही में 250° C – 300° C के तापमान पर 4-6 मिनट तक भूना जाता है.
गुणवत्ता- मखाना के बीजों को भूनने के बाद 3-4 दिनों तक सूखे स्थान पर संग्रहित किया जाता है. फिर इन्हें लकड़ी के हथौड़े से हल्का कूटकर इनका खोल निकाला जाता है. इसके बाद मखाना को बांस की टोकरी से इसकी सफाई करके इन्हें पैक कर दिया जाता हैं.